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Showing posts from February, 2021

राजा पुरु और सिकंदर का युद्ध

भारत प्राचीन काल से ही अति समृद्ध देश रहा है. इसके साक्ष्य इतिहास में मिलते है. इसी वजह से भारत को सोने की चिड़ियाँ कहा जाता था. यह भारत की समृद्धि ही थी, जिसके वजह से विदेशी हमेशा से ही भारत की तरफ आकर्षित हुए है और भारत पर आक्रमण कर भारत को विजयी करने की कोशिश करते आए है. भारत पर आक्रमण करने वालों में सिकंदर (Alexander), हूण, तुर्क, मंगोल, मुगल, डच, पुर्तगाली, फ्रांसिसी और ब्रिटिश प्रमुख है. आज से हम भारत पर हुए सभी विदेशी आक्रमणों की चर्चा करेंगे. साथ ही साथ हम ऐसे महान राजा, महाराजा और वीरांगनाओं पर भी चर्चा करेंगे, जिन्होंने इन विदेशी आक्रांताओ के विरुद्ध या तो बहादुरी से युद्ध किया या फिर उन्हें पराजित कर वापस लौटने पर मजबूर कर दिया. यह केवल एक इसी लेख में लिख पाना संभव नहीं है. वजह से इसके मैं कई भागों में लिखूँगा. इस कड़ी के पहले भाग में हम बात करेंगे सिकंदर की, जिसे यूरोपीय और कुछ हमारे इतिहासकार महान की उपाधि देते है. हम इस बात पर भी चर्चा करेंगे कि क्या सिकंदर वास्तव में इतना महान था या फिर यूरोपीय इतिहासकारों ने सिकंदर के बारे में कुछ ज्यादा ही बढ़ा चढ़ा कर लिखा है? इसमें हम बह

जैन: भारत के असली अल्पसंख्यकों में से एक

भारत की सभ्यता प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है. यहाँ सनातन धर्म के साथ साथ जैन धर्म बौद्ध धर्म को मानाने वाले लोग शांति और समभाव से सदियों से रहते आ रहे है. भारत के कोने कोने में सनातन धर्म के मंदिरो के साथ साथ बौद्ध मठों और जैन तीर्थ स्थानों का भी अपना इतिहास रहा है. किन्तु तलवार के दम पर एक धर्म का फैलाव इस तरह हुआ कि आज अपने ही देश में यह प्राचीन धर्म एक अल्पसंख्यक बन कर रह गए है. ज्यादा संख्या न होने की वजह से किसी के वोट बैंक को ज्यादा फायदा नहीं पंहुचा सकते, इसी वजह से यह अल्पसंख्यक हमेशा से ही उपेक्षित रहा है. हद तो तब हो गई, जब राज्य सरकारों के द्वारा इन देरासरों की उचित सुरक्षा और रख रखाव का आभाव देखा गया. आज की चर्चा हम इसी उपेक्षित जैन समाज पर करेंगें. जैन धर्म का इतिहास इस धर्म का इतिहास सनातन धर्म के समानांतर चला आ रहा है. जैन धर्म में मानाने वाले अपनी भगवान को तीर्थकर कहते है. इस प्रकार जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर ऋषभदेव है, जो इस धर्म के संस्थापक माने जाते है. ऋषभदेव को "आदिदेव" या "आदिश्वरा" भी कह कर संबोधित किया जाता है, जिसका अर्थ होता है प्रथम ईश्वर

कश्मीर की चुड़ैल और लंगड़ी रानी "दिद्दा"

भारत वर्ष का इतिहास विश्व के प्राचीनतम इतिहासों में से एक है. कल तक जो भारत के इतिहास को केवल 3000 वर्ष प्राचीन ही मानते थे, वो हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की संस्कृति के अवशेष मिलने के बाद अब इसे प्राचीनतम मानाने लगे है. पुरातत्व विभाग को अब उत्तर प्रदेश के सिनौली में मिले नए अवशेषों से यह सिद्ध होता है कि मोहनजोदड़ो के समान्तर में एक और सभ्यता भी उस समय अस्तित्व में था. यह सभ्यता योद्धाओं का था क्योंकि अवशेषों में ऐसे अवशेष मिले है, जो योद्धाओं के द्वारा ही उपयोग किया जाता था, जैसे तलवार रथ. इस खोज की एक विशेषता यह भी है कि यहाँ पर ऐसे भी अवशेष मिले है, जो नारी योद्धाओं के है. इस से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस संस्कृति में नारी योद्धा भी रही होंगी. भारतीय संस्कृति और इतिहास में नारियों का विशेष स्थान रहा है. परन्तु हम आज झाँसी की रानी, रानी दुर्गावती और रानी अवन्तिबाई तक ही सिमित रह गए है. इनके अलावा और भी कई और महान योद्धा स्त्रियाँ हुई है भारत के इतिहास में. जैसे रानी अब्बक्का चौटा और कश्मीर की चुड़ैल रानी और लंगड़ी रानी के नाम से विख्यात रानी दिद्दा. आज हम कश्मीर की रानी दिद्दा के बारे म

बलात्कार के लिए केवल फाँसी

यत्र नारी पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता। सनातन धर्म के उपासक इस श्लोक से बहुत ही अच्छे से परिचित होंगे ही और जो इस से परिचित नहीं है, उनके लिए इसका अनुवाद कर देता हूँ. इस श्लोक का अर्थ है, "जहाँ नारी को पूजा जाता है, वहाँ देवता रहते है." परन्तु आज के भारत में क्या वाकई ऐसा हो रहा है? क्या यहाँ नारियों को पूजा जा रहा है? क्या यहाँ नारियों का सम्मान किया जा रहा है? आज दुष्कर्म, उसे लेकर समाज की सोच, नेताओं की निष्क्रियता और एक विशेष समूह के दोहरे चरित्र के बारे में चर्चा करेंगे, को काफी चिंता जनक है. दुष्कर्म के आंकड़े 2019 की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत वर्ष में हर 16 मिनट में एक लड़की की अस्मिता को रौंधा जाता है. मैं इसे एक दिन के हिसाब से गिनती करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा हूँ. यह आँकड़ा भारत वर्ष के संस्कृति के मुँह पर तमाचा है. परन्तु पीड़िता और उसके परिवार के अलावा इस से आज किसी को कुछ ज्यादा फर्क पड़ता हो ऐसा लगता नहीं है. आज ही मौजूदा स्थिति यह है कि छोटी बच्ची से लेकर उम्र दराज महिला तक कोई सुरक्षित नहीं है. रोजाना कही न कही दुष्कर्म के केस सामने आते हैं. ऐसे बहुत मामले भी ह

छत्रपति शिवजी महाराज राजे

आज छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती है. आज ही के दिन उनका जन्म 1630 में हुआ था. शिवाजी महाराज एक कुशल शासक, योग्य सेनापति, राजनीति और कूटनीति में निपुण, गोरिल्ला लड़ाई में धुरंधर थे. शिवाजी महाराज भारतीय शासक और मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे. शिवाजी महाराज ने मुगल आक्रान्ताओं से लोहा लिया और उनके विरुद्ध जाकर, युद्ध कर और उन्हें हरा कर अपना एक अलग साम्राज्य बनाया. शिवाजी महाराज ने स्वराज का सपना देखा और हिन्दू साम्राज्य का प्रतिक भगवे को अपना कर सम्पूर्ण भारत वर्ष की भूमि को भगवामय करने का सपना देखा, जिसे उन्होंने काफी हद तक पूरा भी किया. किन्तु शिवाजी राजे का केवल इतना ही परिचय है? क्या युद्ध, कूटनीति, भगवा, स्वराज से अलग शिवाजी राजे का कोई और व्यक्तित्व नहीं है? हम आज की चर्चा शिवाजी राजे के कुछ ऐसी बातों पर करेंगे, जिससे शायद बहुत ही कम लोग परिचित है. अगर परिचित भी है, तो वो उस पर बात नहीं करते. मातृभक्त शिवाजी राजे की माता का नाम जीजाबाई था. राजे का पालन पोषण उनकी माता श्री ने अकेले ही किया था. साथ ही साथ राजे की पहली गुरु भी वही बनी. जिजाऊ साहेब राजे को बचपन से ही भगवान राम, कृष्णा महा

किसान आंदोलन: राजनैतिक दलों के लिए एक अवसर?

इस से पहले के एक लेख में हमने नए कृषि कानून के बारे में चर्चा किया था, जिसमें हमने केवल उस कानून, उस कानून के प्रावधान और उस कानून के प्रावधान से संबंधित समस्याओं और उनके उचित समाधान के बारे में बात किया था. आज हम थोड़ा सा बात करेंगें, इस किसान आंदोलन के नेताओं की मांगों के बारे में और साथ ही साथ इसी किसान आंदोलन में खुद के एक और मौका ढूँढने वाले राजनैतिक दलों के बारे में. साथ में यह भी समझने की कोशिश करेंगें कि "क्या यह आंदोलन किसानो का ही आंदोलन है या किसी राजनैतिक दल के इशारे पर किया जा रहा है, ताकि वह इस से अपना कोई स्वार्थ सिद्ध कर सके." किसान आंदोलन के नेताओं की मांग किसान आंदोलन के नेता बस इन तीनों कानून को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. वो इन कानून में किसी भी तरह के सुधार कर के लागु करने के पक्ष में नहीं हैं. वो सभी जिद्द पर अड़े हुए हैं कि बस यह कानून रद्द करो और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP:- Minimum Support Price) पर कानून बनाओ. कही न कही इस आंदोलन का मुख्या मुद्दा भी MSP ही है. MSP अर्थात किसी भी फसल को खरीदने का न्यूनतम मूल्य, जो किसान को APMC में मिलता है. नए कृषि क

भारत के बुद्धिजीवियों और सेक्युलरों का दोहरा चरित्र

शुतुरमुर्ग एक ऐसा पक्षी है, जो मिट्टी में अपने सर को धँसा कर शायद यह अपने आसपास की परेशानी से या आसपास के खतरे से या आसपास के परिस्थितियों से खुद को अलग करने की कोशिश करता है. शुतुरमुर्ग की हरकत शायद आपको विचित्र लग सकता है. परंतु इस से भी ज्यादा यह तब विचित्र लगता है, जब शुतुरमुर्ग की तरह ही इंसान भी मिट्टी में अपने सर को धँसा कर बैठ जाते है. यह किसी खतरे से नहीं परंतु अपने दोहरे चरित्र की वजह से ऐसा करते है. जब किसी इंसान की हत्या या किसी बहन बेटी के साथ दुष्कृत्य कुछ असामाजिक तत्त्वों के द्वारा कर दिया जाता है, तब यह लोग सबसे पहले उन इंसान/बहन बेटी का धर्म या जाति के बारे में जानने के बाद अपने प्रोपेगंडा के लिए लाभ होने पर ही कुछ बोलते है और अगर उनके प्रोपेगंडा को लाभ न होने पर, वो शुतुरमुर्ग की तरह मिट्टी में अपने सर को धँसा देते है और चुप रहते है. आज हम कुछ ऐसे ही लोगों की मानसिकता के बारे में बात करेंगे. एक भीड़ द्वारा किसी एक इंसान की पिट पिट का हत्या कर देने को लिंचिंग कहते है. यह कई कारणों से हो सकता है. आपसी दुश्मनी की वजह से, कोई निजी स्वार्थ सिद्ध करने की वजह से या फिर किसी

भारतीय वायुसेना और तेजस का भविष्य

भारत की सीमा पर दुश्मन के सामने अपना सीना ताने भारतीय सेना खड़ी है और भारत के आन बान और शान के साथ साथ हम देशवासियों की रक्षा करने के लिए कभी धुप का सामना करते है, कभी बारिस का, तो कभी कड़ाके की ठण्ड का. तो कभी हड्डियों को भी पिघला जमा देने वाली सियाचिन की बर्फबारी का, जहाँ का औसतन तापमान -30 डिग्री रहता है. हम काफी भाग्यशाली है कि हमारे पास इतने बहादुर और माँ के सपूत मौजूद है. परन्तु ये माँ के सपूत इतने भाग्यशाली नहीं है. भारत अब तक 5 लड़ाइयाँ लड़ चूका है. चार पाकिस्तान के साथ जो क्रमशः 1948, 1965, 1971 और 1999 कारगिल है और एक बार चीन के साथ 1967 में. अगर आपके मन में 1962 का ख्याल आ रहा है, तो वह भारत चीन का नहीं, बल्कि नहेरु चीन का युद्ध था, जो भारत कि भूमि पर लड़ा गया था. परन्तु हर बार भारतीय सैनिक केवल अपने जोश और जज़्बे के दम पर ही लड़े है और विजयी हुए है. भारत के सैनिकों के पास कभी भी पर्याप्त संसाधन नहीं हुआ है. कारगिल की लड़ाई में तो भारतीय सैनिकों ने अभूतपूर्व पराक्रम का परिचय तब दिया, जब उनके स्वदेशी हथियार इंसास ने धोखा दे दिया था. भारत के जल सेना और भारत के वायुसेना का भी बुरा हाल

रिहाना प्रोपेगंडा मोदी विरोधी या भारत विरोधी?

कृषि कानून 2021 के विरोध में चल रहा किसानों के आंदोलन का मुद्दा थमने का नाम नहीं ले रहा है. 26 जनवरी के दिन दिल्ली में ट्रेक्टर परेड के दौरान हुए हिंसा ने इसे किसानों और सरकार के बीच बातचीत को रास्ते को थोड़ा मुश्किल बना दिया है. जहाँ किसान दिल्ली की सीमा पर बैठे हुए है, वहीं प्रशासन ने दिल्ली की सीमा पर किल्ले बंदी कर दिया है. किसान आंदोलन के नाम पर सभी राजनीति दलों के नेता अपने अपने डूबते हुए राजनीति के नैया को किसानों के सहारे पार लगाना चाहते है. किसानों के आंदोलन का शोर भारत देश से बहार अमेरिका और कनाडा तक पहुंचने लगा है. इन देशों में रह रहे सिक्ख, जिनमें से ज्यादातर खालिस्तान के समर्थक है, इस मुद्दे को लेकर वहाँ पर भी प्रदर्शन कर रहे है. यह सब अभी चल ही रहा था की अमेरिकन पॉप स्टार रिहाना ने किसानों के समर्थन में ट्वीट कर के इसे और भी हवा दे दिया. उसके बाद तो ग्रेटा और मिया खलीफा ने किसान आंदोलन का समर्थन कर के ट्वीटर पर जैसे तूफान ही ला दिया. उसके बाद इस आंदोलन के समर्थकों ने इन सभी का धन्यवाद किया, तो वहीं 26 जनवरी की घटना के बाद किसान आंदोलन का विरोध कर रहे लोगों ने इसे केवल प्रो

भारत और 114 लड़ाकू विमान के लिए 130000 करोड़

भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी  ने एक बार कहा था कि "हम चाह कर अपना पड़ोसी नहीं बदल सकते." बात तो सही है, पंरतु वक्त रहते खुद को पड़ोसी के अनुसार खुद को बदलना बहुत जरूर है. देश की आजादी के बाद से ही भारत ने केवल पाकिस्तान को ही अपना दुश्मन माना और जरुरी भी था. क्योंकि हम पाकिस्तान से अब तक 4 बार युद्ध कर चुके है. इसी वजह से पाकिस्तान को ही ध्यान में रखते हुए हमने अपने रक्षा उपकरणों का विदेशों से निर्यात किया और भारत में निर्माण किया. परंतु पाकिस्तान से दुश्मनी में हम इस कदर उलझे की हम अपने एक और पड़ोसी के बारे में भूल ही गए और यह पड़ोसी एक अजगर की तरह धीरे धीरे खुद को भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पुरे विश्व से युद्ध करने के लिए खुद को तैयार करता रहा. हमारा वह पड़ोसी "ड्रैगन" आज हमारे देश की सीमाओं पर दस्तक देने लगा है. ऐसा नहीं है कि उसने अभी ही दस्तक देना शुरू किया है. यह दस्तक वह तिब्बत पर अपना अधिकार करने के बाद से दे रहा है. परन्तु अब उसने और भी आक्रमकता दिखाते हुए एक साथ भारत को लद्दाख, अरुणचल प्रदेश और सिक्किम में घेरने की कोशिश कर रहा है. चीन