सत्ता मे न होते हुए भी ताकत इसी इंसान के पास थी. इंदिरा सिर्फ नाम की प्रधानमत्री रह गई थी. इनके जीवित रहने तक हर एक फैसला लगभग यही करते थे. महज 25 वर्ष की आयु में इनका विवादों से नाता जुड़ा और ऐसा जुड़ा की मरने के बाद भी यह नाता नहीं टुटा. मारुती कार हो, 1975 का आपातकाल हो या फिर नसबंदी हर जगह इनका नाम जुड़ता रहा है. 1980 तक किसी भी पद पर नहीं होने के बाद भी किसी में हिम्मत नहीं थी कि इनकी बात काट दे. उस समय कांग्रेस के कई नेताओं के सर इनके आगे झुकते थे. मैं बात कर रहा हूँ स्वाभाव से जिद्दी किसी नियम को न मानाने वाले और तेज रफ्तार को पसंद करने वाले कांग्रेस के युवा नेता और एक प्रधानमंत्री के सबसे प्यारे बेटे संजय गाँधी के बारे में.
भारत देश के इतिहास, क्रन्तिकारी, सेना, समाज, धर्म, राजनीती, नेता, जनता इत्यादि विषयों पर अपने विचार और अर्धसत्य का सम्पूर्ण सत्य सामने रखने की क्रांति.