यत्र नारी पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता। सनातन धर्म के उपासक इस श्लोक से बहुत ही अच्छे से परिचित होंगे ही और जो इस से परिचित नहीं है, उनके लिए इसका अनुवाद कर देता हूँ. इस श्लोक का अर्थ है, "जहाँ नारी को पूजा जाता है, वहाँ देवता रहते है." परन्तु आज के भारत में क्या वाकई ऐसा हो रहा है? क्या यहाँ नारियों को पूजा जा रहा है? क्या यहाँ नारियों का सम्मान किया जा रहा है? आज दुष्कर्म, उसे लेकर समाज की सोच, नेताओं की निष्क्रियता और एक विशेष समूह के दोहरे चरित्र के बारे में चर्चा करेंगे, को काफी चिंता जनक है. दुष्कर्म के आंकड़े 2019 की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत वर्ष में हर 16 मिनट में एक लड़की की अस्मिता को रौंधा जाता है. मैं इसे एक दिन के हिसाब से गिनती करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा हूँ. यह आँकड़ा भारत वर्ष के संस्कृति के मुँह पर तमाचा है. परन्तु पीड़िता और उसके परिवार के अलावा इस से आज किसी को कुछ ज्यादा फर्क पड़ता हो ऐसा लगता नहीं है. आज ही मौजूदा स्थिति यह है कि छोटी बच्ची से लेकर उम्र दराज महिला तक कोई सुरक्षित नहीं है. रोजाना कही न कही दुष्कर्म के केस सामने आते हैं. ऐसे बहुत मामले भी ह...
भारत देश के इतिहास, क्रन्तिकारी, सेना, समाज, धर्म, राजनीती, नेता, जनता इत्यादि विषयों पर अपने विचार और अर्धसत्य का सम्पूर्ण सत्य सामने रखने की क्रांति.