उत्तरप्रदेश: अपराधियों का गढ़ Skip to main content

उत्तरप्रदेश: अपराधियों का गढ़


अगर याद हो तो एक फिल्म आई थी, उत्तर प्रदेश की पृष्टभूमि पर आधारित "बुलेट राजा". जिसमें उत्तर प्रदेश के एक क्षेत्रीय नेता अपना निहित स्वार्थ सिद्ध करने के लिए दो गुंडे पालते है. जिन्हे राजनैतिक रक्षक का नाम दिया गया. यही उत्तर प्रदेश की कहानी है. आज विकास दुबे ने 8 पुलिस वालों को मार दिया और यह बात मीडिया में आ गई. इसी वजह से आज विकास दुबे के पीछे पुरे उप्र की पुलिस पड़ गई है. वरना विकास दुबे पर पहले से भी हत्या के अपराधिक मामले दर्ज है और सिर्फ विकास दुबे ही एक मात्र अपराधी नहीं है, जो खुला घूम रहा हो. ऐसे कई और है, जिन्हे या तो राजनैतिक संरक्षण प्राप्त है या फिर खुद किसी पार्टी से जुड़े हुए है. कुछ ऐसे भी है, जिसने पूरा उत्तर प्रदेश कांपता था. देखते है ऐसे ही कुछ दबंग बाहुबलियों के बारे में.

मुख़्तार अंसारी
भारत देश के उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी  का भतीजा, 6 फुट 2 इंच का लम्बा कद, गहरी लम्बी मूंछे. यह पहचान है दबंग बाहुबली मुख्तार अंसारी की. बहुजन समाजवादी पार्टी की मुखिया मायावती ने जिसे गरीबों का मसीहा बताया अपनी पार्टी का टिकट दिया था. इस तरह से एक जुर्म की दुनिया का डॉन राजनीती में उतर आया. मुख्तार अंसारी की कहानी फिल्मी है. ऐसा डॉन जिसने मखनु गैंग के गुर्गे के तौर अपने शुरुआत किया और देखते ही देखते मऊ, गाजीपुर, वाराणसी, जौनपुर में डॉन की तरह कुख्यात हो गया. उसकी दहशत इसी बात से समझिए कि उसके खिलाफ गवाही देने वाला या तो अपना बयान बदल लेता या उसकी संदिग्ध परिस्थियों में मौत हो जाती. जेल में रहने के बाद भी अपने जुर्म का नेटवर्क जेल के अंदर से चलता. भारतीय जनता पार्टी के नेता कृष्णा राय और उसके 6 सहयोगियों कि हत्या कर दी गई. AK-47 से 400 गोलियाँ चली और हर एक शव से 67 गोलियां निकली. इस घटना का मुख्य गवाह भी संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाया गया. मुस्लिम वोट बैंक साधने के लिए दंगे करवाने का भी आरोप लगा. मुख्तार अंसारी का गैंग कोयला, खनन, रेलवे कॉट्रैक्ट, शराब, गुंडागर्दी टैक्स फिरौती इत्यादि धंधो में शामिल है.

बृजेश सिंह
बृजेश सिंह उर्फ अरुण सिंह वाराणसी से है. बचपन से पढाई में होनहार छात्र बृजेश सिंह ने अपने पिता की मौत का बदला लेने के लिए पहली बार हत्या किया. उसके बाद भी उसकी बदले की भावना शांत नहीं हुई तो उसने अपनी पिता ही हत्या में शामिल बाकि पांच लोगों को भी मौत के घाट उतार दिया और उसके बाद मुड़ कर नहीं देखा. साहिब सिंह के गैंग के त्रिभुवन सिंह को अपने गैंग में शामिल करने के बाद बृजेश सिंह मुख्तार अंसारी के कट्टर विरोधी की तौर के सामने आया. दोनों के बीच कई बार गैंग वॉर की बातें सामने आई. बृजेश सिंह ने एक बार अपनी साथी के भाई की मौत का बदला लेने के लिए नकली पुलिस बन कर अस्पताल में घुस कर गोलियों से भून दिया. इसी तरह से गवली गैंग के शार्प शूटर समेत चार लोगों की हत्या कर दिया. यह बदला उसने खुद के लिए नहीं बल्कि दाऊद की दोस्ती पाने के लिए किया. दाऊद से जुड़ने से बृजेश सिंह की ताकत और बढ़ गई. परन्तु 1993 बम ब्लास्ट के बाद वह दाऊद का दुश्मन बन गया और दाऊद को मारने का षड़यंत्र रचने लगा. इसके बाद से ही उसकी छवि "हिन्दू डॉन", देशभक्त डॉन, और पूर्वांचल का रोबिनहुड की बन गई. यह भी बीजेपी से विधायक रह चुके है.

बबलू श्रीवास्तव
बबलू श्रीवास्तव उर्फ ओमप्रकाश श्रीवास्तव, उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर से है. यह अपने बड़े भाई, जो आर्मी में कर्नल है, की तरह आर्मी में जाना चाहते थे या आईएएस अफसर बनान चाहते थे. पर कॉलेज के चुनाव में हुए चाकूबाजी कांड ने इनकी जिंदगी को बदल दिया. चाकू लगने वाला शक्स अन्ना गैंग से जुड़ा था. उसके बबलू को परेशान करना शुरू किया. बार बार चोरी का इलज़ाम लगा कर जेल भिजवा देता. इसी से परेशान होकर बबलू ने अपना घर छोड़ दिया और अन्ना का विरोधी रामगोपाल मिश्र से जुड़ गया और पीछे मुड़ कर नहीं देखा. लॉ की पढाई करने वाला बबलू श्रीवास्तव बहुत ही जल्द किडनैपिंग किंग की तरह मशहूर हो गया और उत्तरप्रदेश बिहार महाराष्ट्र तक अपनी पहुँच बना चूका था. अपराध की दुनिया में बाद में अलग अलग राज्यों में अपहरण फिरौती अवैध वसूली और हत्या जैसे आपराधिक मामलों में केस दर्ज होते रहे. बाद में यह दाऊद के भी संपर्क में आया, परन्तु 1993 बम ब्लास्ट के बाद दाऊद से अलग हो गया. पुणे में एडिशनल पुलिस कमिश्नर एलडी अरोड़ा को सरेआम गोलियों से भून दिया और इसी अपराध में आज आजीवन कारावास की सजा भुगत रहा है .

अतीक अहमद
उत्तर प्रदेश के देवरिया से संबंध रखने वाले इस दबंग बाहुबली नेता का अपना अलग ही अंदाज़ है. कोई भी माफिया से नेता बनाने के बाद खुद को साफ़ सुथरा दिखने का प्रयत्न करते है. पर अतीक अहमद ने ऐसी कोई भी कोशिश कभी नहीं किया. अतीक जहाँ जाता उसका गैंग वही आकर अपना काम शुरू कर देता. उसकी पुलिस में धाक और डर इसी बात से समझिए कि अतीक अहमद को उत्तर प्रदेश की जिस जेल में भी भेजा जाता वहाँ का प्रशासन अतीक अहमद को जेल में रखने को तैयार नहीं होता. अतीक अहमद देवरिया जेल में था और उसके गुर्गे एक कारोबारी मोहित जैसवाल का अपहरण कर देवरिया जेल में ले जाकर, मारा पीटा और कुछ कागजात पर हस्ताक्षर करवाया और धमकी देकर छोड़ दिया. अतीक अहमद समाजवादी पार्टी से जुड़े थे. कहा जाता है कि मुलयाम सिंह यादव के कहने पर मायावती की हत्या करने गए थे. इस घटना को गेस्ट हाउस कांड के नाम से जाना जाता है.  2004 में मुरली मनोहर जोशी के करीबी भाजपा नेता अशरफ की हत्या 
का आरोप है. फूलपुर के MLA राजू पल की दिन दहाड़े हत्या हो गई. जिसमें सबसे ऊपर नाम आया सांसद अतीक अहमद का. अतीक अहमद भाग गए और इन्हे भगोड़ा करार दिया अतीक अहमद पर 83 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज है. जिसमें से 17 तो केवल हत्या के मामले है.

राजा भैया
जिसे उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री रहे कल्याण सिंह ने कभी "कुंडा का गुंडा" कहा था और बाद में खुद के ही मंत्री मंडल में मंत्री पद का सपथ दिलवाया था, जो मुलायम सिंह यादव की पार्टी समाजवादी पार्टी के बहुत करीबी रहे है और मायावती से जिनकी दुश्मनी काफी मशहूर है, उनका नाम है रघुराज प्रताप सिंह उर्फ तूफान सिंह उर्फ राजा भैया राजा. भैया के बारे में ऐसा कहा जाता है कि वो तालाब में मगरमच्छ पालते है और अपने सभी विरोधियों को उसी तालाब में डाल देते हैं. राजा भैया के खिलाफ कुंडा से कोई भी चुनाव में ना खड़ा होता हैं और ना ही उनके इलाके में कोई पोस्टर लगता हैं. मायावती के समय में पहली बार राजा भैया के किले में पुलिस गई और राजा भैया पर POTA लगाया गया. पर जैसे ही मुलायम सिंह की सरकार आई, वह सारे इल्जाम हटा लिए गए. उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी के कैबिनेट के मंत्री रहे राजा भैया के लगभग हर एक पार्टी से बहुत अच्छे संबंध हैं.

श्रीप्रकाश शुक्ला 
अब तक आपने जितने भी डॉन के बारे में सुना वह सभी इस अकेले के सामने बौने और आठ पुलिस वालों को मारने का मास्टरमाइंड विकास दुबे बच्चा हैं. बात कर रहा हूँ उत्तर प्रदेश और शायद भारत के इतिहास के सबसे कुख्यात और सबसे कम उम्र के डॉन श्री प्रकाश शुक्ला की. श्री प्रकाश का डर ऐसा था कि आम जनता ही नहीं बल्कि उस समय के बड़े बड़े गैंगस्टर, यहाँ तक की पुलिस भी उसके नाम से डरती थी. उत्तर प्रदेश के जुर्म कि इतिहास में सबसे पहले AK 47 का और मोबाइल का इतेमाल करने वाला अपराधी था श्री प्रकाश शुक्ला. श्री प्रकाश जहाँ जाता AK 47 लेकर जाता. उसकी गैंग में सिर्फ 4 लोग थे. ज्यादा बड़ी गैंग नहीं रखता था. जिसकी पुलिस के पास सिर्फ एक ही तस्वीर थी, जो बड़ी मुश्किल से मिला था. जिसके बारे में उत्तर प्रदेश कि पुलिस ने कह दिया था कि श्री प्रकाश को पकड़ना हमारे बस के बहार की बात है और जिसे मारने के उत्तर प्रदेश पुलिस को STF बनाना पड़ा था. जिसने उत्तर प्रदेश के बाहुबली विधायक वीरेंद्र शाही, बिहार के MLA अजित सरकार और बिहार के ही मंत्री ब्रिज बिहारी प्रसाद को AK 47 से भून दिया था. इतना कम नहीं था कि खबर मिली की ऊप्र के मुख्य मंत्री कल्याण सिंह सुपारी 6  करोड़ में ले लिया था. यह खबर सुनते ही ऊप्र पुलिस के हाथ पैर फूल गए. पर बाद में अजय शर्मा के नेतृत्व में STF ने इसका तब एनकाउंटर कर दिया, जब इसके पास AK 47 नहीं था. बहन को छेड़ने पर 20 वर्ष की उम्र में पहली हत्या के बाद 25 वर्ष की उम्र में उसके एनकाउंटर तक, महज 5 वर्षों में श्री प्रकाश शुक्ला उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा डॉन बन कर सामने उभर कर आया. उसके बारे में यह भी कहा जाता हैं श्री प्रकाश शुक्ला ने दाऊद को भी धमकी दिया था.
यह सिर्फ चंद नाम हैं. उत्तर प्रदेश के अपराधियों की लिस्ट बहुत लम्बी हैं. जैसे, बदन सिंह बद्दो, धनंजय सिंह, मुन्ना बजरंगी, सुनील राठी, योगेश भदौड़ा, भूपेंद्र बाफर, उधम सिंह, मिर्ची गैंग सरगना आशु, शहाबुद्दीन, अताउर्रहमान, गौरी यादव, हरीश बालियान, कौशल चौबे, मनीष, सुभाष ठाकुर उर्फ बाबा, इंद्रदेव सिंह उर्फ बीकेडी, सुनील यादव, रिंकू सिंह उर्फ विकास सिंह, अजीम, रईश अहमद इत्यादि. ये अपराधी ऐसे ही इतना आगे नहीं आए, बल्कि इनको नेताओं से मिले संरक्षण से और पुलिस को कुछ न करने की आज्ञा तक कारण शामिल हैं. हालाँकि उत्तर प्रदेश में आई योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश को अपराध मुक्त करने के लिए अभियान चलाया तो है, पर आज भी नेता अपने रसूख का इतेमाल कर ऐसे अपराधियों को बचाने का काम करते हैं. पुलिस प्रशासन को अगर छूट नहीं दी गई और पुलिस को अधुनिक हथियारों से सज्ज नहीं किया गया, तो विकास दुबे जैसा एनकाउंटर भी सामने आएगा और एनकाउंटर के समय पुलिस वाले के मुँह से गोली की आवाज़ निकलने वाली घटना भी.

जय हिन्द
वंदेमातरम

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