नारी को सनातन धर्म में पूजनीय बताया गया है और देवी का स्थान दिया गया है. तभी कहा गया है कि "यत्र नारी पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता." अर्थात जहाँ नारी की पूजा होती है, देवताओं का वहीं वास होता है. यहाँ पूजा का मतलब है सम्मान. परंतु यह समाज धीरे धीरे पुरुष प्रधान बनता गया. नारी और उनके अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता गया. हालाँकि स्थिति पहले से कुछ हद तक सुधरी जरूर है. परंतु यह प्रत्येक जगह नहीं. आज भी कही कही स्थिति दयनीय है. इसे बदलने की जरुरत है. नारी शक्ति पर मैंने यह कविता लिखा है, जिसका शीर्षक ही है नारी शक्ति.
नारी शक्ति
तू माँ है बहन है बेटी है,
तू शिव में शक्ति का इकार है.
तुझ बिन शिव शव है,
ये मनुष्य तो निराधार है.
तू शिव में शक्ति का इकार है.
तुझ बिन शिव शव है,
ये मनुष्य तो निराधार है.
तू काली है तू दुर्गा है,
तू शक्ति का श्रोत है.
तू भवानी जगदम्बा है,
तू ही जीवन ज्योत है.
तू शक्ति का श्रोत है.
तू भवानी जगदम्बा है,
तू ही जीवन ज्योत है.
क्षमा में तू गंगा है,
ममता में तू धरती है.
तू युद्ध में रणचंडी है,
जीवनदायनी प्रकृति है.
ममता में तू धरती है.
तू युद्ध में रणचंडी है,
जीवनदायनी प्रकृति है.
जय हिन्द
वंदेमातरम
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