भारत और चीन के बीच में बहुत गहरे व्यापारिक रिश्ते होने के बावजूद भी इन दोनो देशों के बीच टकराव होते रहे है. 1962 और 1967 में हम चीन के साथ युद्ध भी कर चुके है. भारत चीन के साथ 3400 KM लम्बे सीमा को साँझा करता है. चीन कभी सिक्किम कभी अरुणाचल प्रदेश को विवादित बताता रहा है और अभी गल्वान घाटी और पैंगॉन्ग त्सो झील में विवाद बढ़ा है. पर फ़िलहाल चीन गल्वान घाटी को लेकर ज्यादा चिंतित है और उसकी चिंता भी बेकार नहीं है. दोनों सेना के उच्च अधिकारियो के बीच हुए, बातचीत में दोनों सेना पहले पीछे लौटने को तो तैयार हो गई. पर बाद में चीन ने गल्वान घाटी में भारत द्वारा किये जा रहे Strategic Road का निर्माण काम का विरोध किया और जब तक इसका निर्माण काम बंद न हो जाये तब तक पीछे हटने से मना कर दिया.
भारत सरकार ने भी कड़ा निर्णय लेते हुए पुरे LAC (Line of Actual Control) पर Reserve Formation से अतिरिक्त सैनिको को तैनात कर दिया है. एक आंकड़े की माने तो भारत ने LAC पर 2,25,000 सैनिको को तैनात कर दिया है, जिसमे
* लद्दाख में 3 Infantry Division के अलावा 2 अन्य ब्रिगेड
* हिमाचल प्रदेश में अतिरिक्त सैन्य टुकड़ी कोर फार्मेशन में
* उत्तराखंड में गढ़वाल और कुमाऊँ सेक्टर की अतिरिक्त तैनाती और यहाँ के चिन्यालीसौड़ में वायुसेना की गतिविधि तेज
* सिक्किम में अतिरिक्त ब्रिगेड भेजना (चीन नाकु लॉ में बढ़त बनाने की कोशिश करता रहा है)
* अरुणाचल प्रदेश के पुरे पूर्वी सेक्टर में सैनिको की अतिरिक्त तैनाती
के साथ साथ IBG, Integrated Battle Group (ऐसे सैनिक जो पुरे हथियार से लैस हमेशा युद्ध के लिए तयार रहते है) को भी आगे भेज दिया. भारतीय नौ सेना ने भी अपने Eastern Fleet को आगे भेज दिया है.
गल्वान घाटी को लेकर चीन इतना चिंतित क्यों है?
90 की दसक में जब अटल बिहारी वाजपई की सरकार थी उस समय के तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस ने चीन से लगने वाले सीमा क्षेत्रो को संवेदलशील बताते हुए वहाँ 61 Strategic Roads की जरुरत की बात को कहा. Strategic Road ऐसी सड़को को कहा जाता है जिस पर तोप टैंक और भारी से भारी वाहनों के आवागमन के लिए बने होते है जिस पर किसी भी मौसम का कोई प्रभाव नहीं पड़ता. यहाँ तक की ये भूकंप को झेलने में भी सक्षम होते है. BRO (Border Roads Organization) ने 75% सड़क निर्माण कार्य को पूरा कर चूका है. अरुणाचल प्रदेश के 10 गांव के लोगो ने यहाँ सड़क बनाने के कार्य को जल्दी से जल्द पूरा करने के लिए अपने अपने जमीन को मुफ्त में भारत सरकार को दे दिया है. वहाँ की जनता और उनके देश प्रेम के जज़्बे को दिल से नमन है.
BRO द्वारा निर्मित ये सड़क, डारबुक से श्योक नदी को पार करते हुए जब दौलत बेग ओल्डी तक पहुँचती है, तब इसकी लम्बाई लगभग 255 KM की हो जाती है. वहाँ से सियाचिन ग्लेशियर भी बहुत नजदीक है जो विश्व का सबसे ऊँचा युद्ध क्षेत्र है जिस पर भारत का कब्ज़ा है और दौलत बेग ओल्डी भी सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्रो में से एक है जहाँ पर हवाई पट्टी है. (ऊपर का चित्र देखे.) दौलत बेग ओल्डी के हवाई पट्टी, जो 14000 फुट की ऊंचाई पर स्थित है, पर जब भारतीय वायुसेना ने AN-32 को उतारा था तब चीनी सैनिको ने इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, क्योकि ये छोटा विमान था, जो महज 30 से 40 लोगो को ले जा सकता था. पर फिर बाद में भारतीय वायुसेना ने
C-17 को उतारा, जो 70 टन तक का वजह ढोने में सक्षम है. साथ ही साथ भारतीय वायुसेना ने सियाचिन ग्लेशियर के अतिदुर्गम क्षेत्र में भी अपना ध्रुव, चीता और चेतक हेलीकाप्टर उतर चूका है.
साथ ही साथ MI और LCH हेलीकाप्टर पर काम कर रहा है. ऐसा करने से सियाचिन और दौलत बेग ओल्डी जहाँ पर भारत को पहले से ही ऊंचाई की वजह से भौगोलिक फायदा है और गल्वान क्षेत्र में न सिर्फ चीन की गतिविधिओं पर आसानी से नज़र रख सकता है, बल्कि युद्ध की स्थिति में चीन को भारी नुकसान भी पहुँचा सकता है. पर चीन को मुख्य समस्या डारबुक श्योक सड़क से नहीं है, बल्कि भारत ने उसी सड़क में से एक सड़क गल्वान घाटी की तरफ निकल दिया है उस से समस्या है जो सीमा से सिर्फ 9KM की दुरी पर है. इस सड़क की अभाव में भारतीय सैनिको को सीमा तक पहुंचने में 8 घंटे का समय लगता उसकी जगह अब सेना सिर्फ 35 मिनट में पहुंचकर युद्ध का रुख बदल सकती है. उसके बाद भारत सरकार ने इसी क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देकर विदेशी लोगो को विजा देकर विश्व में यह सन्देश दिया है कि यह क्षेत्र हमारा है तभी इसका विजा भारत सरकार ने दिया है. इस से विश्व पटल पर भारत को अपना पक्ष मज़बूती से रख सकेगा.
चीन के लिए सियाचिन इस वजह से भी सर दर्द बना हुआ है, क्योकि चीन पकिस्तान के साथ मिलकर जो CPEC China Pakistan Economic Corridor बना रहा है, जिस से चीन को भारत का चक्कर लगाते हुए हिन्द महासागर से ना जाना पड़े. पर यहाँ दिक्कत ये है कि भारत सरकार ने पाक अधिकृत कश्मीर को वापस लेने के लिए जो प्रतिबद्धता दिखाया है, उस से चीन चिंतित है. क्योकि पाकिस्तान ने कश्मीर पर जो गलत तरीके से कब्ज़ा कर के बैठा है, उसी को पाकिस्तान ने चीन को दिया है CPEC के लिए.
इसी वजह से चीन ने अभी POK का मुद्दा उठाया है. हो सकता है किसी के मन में ये सवाल आए कि अगर युद्ध हुआ तो जीतेगा कौन? इसका जवाब बहुत कठिन है क्योकि दोनों देश परमाणु संपन्न देश है. पर हाँ, अगर चीन ने भारत से सम्बन्ध बिगाड़े तो उसे जो आर्थिक नुकसान होगा उसके बारे में वो सोच भी नहीं सकता.
इसके अलावा जो आप अक्सर सुनते है कि चीन 8 KM अंदर घुस आया, ये कर दिया वो कर दिया वो सिर्फ चीन का हथकंडा है भारत देश के लोगो पर मानसिक दबाव बनाने का जो वह पाकिस्तानिओ और हमारे कुछ बिके हुए पत्रकारों द्वारा चला रहा है. उसके अलावा कल रात को जो दुःखद घटना घटित हुआ है जिसमे हमारे 3 जवान वीरगति को प्राप्त हो गए वो सिर्फ एक ऐसा दुर्घटना था जिस पर चिनिओ का बस नहीं चला और वो तुरंत भारत से एक तरफ़ा कार्यवाही नहीं करने को कहते हुए इस मुद्दे पर बातचीत करने को कहा. पर आप से निवेदन है जितना हो सके चीनी चीजों का बहिष्कार करे.
हमारे तीनो बहादुर सैनिको को दिल से श्रद्धांजलि देते हुए मैं अपनी बात यही ख़त्म करता हु.
जय हिन्द
वंदे मातरम
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