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दाऊद इब्राहिम: मुंबई अंडरवर्ल्ड का सबसे बदनाम और क्रूर डॉन

इस से पहले के तीन लेखों में हमने मुंबई अंडरवर्ल्ड के जन्मदाता करीम लाला, पहले हिन्दू डॉन वरदराजन मुदालियर और मुंबई अंडरवर्ल्ड के सबसे शरीफ डॉन हाजी मस्तान के उत्थान और उनके पतन के बारे में पढ़ा. आज हम बाद करेंगे, मुंबई अंडरवर्ल्ड के इतिहास सबसे बदनाम और क्रूर डॉन के बारे में, जिसने डॉन शब्द की परिभाषा को ही बदल दिया. जहाँ पहले के तीनों डॉन एक तरह से रॉबिनहुड की अपनी छवि को बनाये हुए थे, वही इस डॉन ने पहले के सभी डॉन के बनाये नियम तोड़ दिए और गरीब साधारण जनता भी इसके नाम से खौफ खाने लगी. इसके आने से मुंबई अंडरवर्ल्ड में गैंगवॉर, पुलिस एनकाउंटर जैसी नई चीजें शुरू हुई. इस खुनी खेल में मुंबई की सड़के लाल होने लगी और इस खुनी खेल का तांडव मुंबई की शरहद लाँघ कर गुजरात के अहमदाबाद तक पहुँच चूका था. हम बात कर रहे हैं एक ईमानदार पुलिस कांस्टेबल के अपराधी बेटे, दाऊद इब्राहिम कासकर के बारे में. इसके उदय और इसके मुंबई छोड़ने के बारे में हम बहुत ही संक्षिप्त में बात करेंगे.

प्रारंभिक जीवन
दाऊद इब्राहिम का जन्म महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के खेड़ में 26 दिसंबर 1955 के दिन हुआ था. उसके बाद यह मुंबई के डोंगरी में रहने लगा. इसके पिता एक ईमानदार पुलिस कांस्टेबल थे. इसके बड़े भाई का नाम सबीर इब्राहिम कासकर और बहन का नाम हसीना पारकर था. सबीर इब्राहिम के साथ मिलकर ही दाऊद ने अपना गैंग शुरू किया था. सबीर की हत्या से पहले इस गैंग का मुखिया सबीर ही था. दाऊद की बहन हसीना पारकर भी आगे चल कर मुंबई में लेडी डॉन बनी थी.
दाऊद ने एक गुर्गे की तरह हाजी मस्तान के गैंग में शामिल हो गया. तस्करी और काले धंधे की बारीकियाँ उसने हाजी मस्तान से ही सीखा. परंतु हाजी मस्तान एक ऐसा डॉन था, जिसने उसूल और अपराध को ऐसा मिलाया था कि काले धंधे में रहने के बाद भी उसका दामन किसी भी हत्या के दाग से बेदाग रहा. इसी वजह से दाऊद असली डॉन नहीं मानता था. बाद में जब हाजी मस्तान अपराध की दुनिया को छोड़ समाज सेवा और राजनीति की राह पर आगे बढ़ा, तो दाऊद ने खुद को हाजी मस्तान के गिरोह से अलग कर लिया और अपने बड़े भाई सबीर के साथ मिलकर खुद का गैंग बनाया.

दाऊद का उदय
दाऊद के भाई बनने कहानी की शुरुआती हुई थी एक डकैती से, जब दाऊद ने 5 लाख का एक ब्रीफ केस एक कार में से चाकू दिखा कर लूट लिया था. इसके बाद दाऊद पकड़ा गया और इसके पिता ने इसे पुलिस के बेल्ट से रात भर पीटा था. परंतु तब तक दाऊद इब्राहिम अपना राह चुन चूका था. परंतु दाऊद के लिए यह राह इतना भी आसान नहीं था. पहले से मुंबई में तीन डॉन का राज था. ऊपर से दाऊद के साथ साथ एक और गैंगस्टर 1979 में मुंबई की गलियों में पैदा हो चूका था, जो सबसे खतरनाक था. साथ ही साथ वह मुंबई अंडरवर्ल्ड के इतिहास का सबसे ज्यादा पढ़ा लिखा गैंगस्टर था. नाम था मनोहर सुर्वे उर्फ मान्या सुर्वे.
यहाँ पर दाऊद के नसीब ने उसका साथ दिया. अंडरवर्ल्ड के पहले के तीनों डॉन के अंत और दाऊद के उदय में, कही न कही भारत के लोकतंत्र का कला दिन कहे जाने वाले आपातकाल यानि इमरजेंसी का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से योगदान था. क्योंकि इस आपातकाल में मुंबई के सभी डॉन करीम लाला, वर्धा भाई और हाजी मस्तान पर कानून की नजर टेढ़ी हुई. ऐसे वह या तो भागते छुपते रह रहे थे या जेल में थे. ऐसे समय में उस वक्त के नए नवेले कासकर गैंग के उदय के लिए सबसे उपयुक्त समय मिल गया. क्योंकि उसे रोकने के लिए पुराना कोई डॉन सही से मौजूद नहीं था. हाजी मस्तान देश में लगे आपातकाल के दौरान जय प्रकाश के संपर्क में आने के बाद अपराध की दुनिया को छोड़ देने का कसम खाया और जुर्म की दुनिया से खुद को अलग कर लिया. 1980 में दूसरे डॉन वरदराजन मुदालियर के पीछे वाई सी पवार नाम के एक पुलिस अधिकारी पीछे पड़ गए थे. जिन्होंने वरदराजन के गिरोह को साफ कर दिया और 1983 में वरदराजन को मुंबई छोड़ कर वापस तमिलनाडु जाना पड़ा. ऐसे में दाऊद के गिरोह का केवल एक ही प्रतिद्वंदी था, करीम लाला का पठान गैंग. दाऊद पठान गैंग से भीड़ गया. उस समय दाऊद नया था. ऐसे में करीम लाला ने खुद दाऊद इब्राहिम से न निपट कर, अपने पठान गैंग को ही उस से निपटने दिया. क्योंकि ऐसा करने से दवाद का ही ज्यादा नाम होता. हालाँकि इसी बीच दाऊद करीम लाला के हथे चढ़ गया था, तब करीम लाला ने दाऊद की पिटाई कर दिया था. परंतु दाऊद नहीं माना. तब पठान गैंग को करीम लाला नहीं, बल्कि उसका भतीजा समद खान चलाता था. उसने इस गैंग के मुखिया सबीर इब्राहिम कासकर को मारने का मन बनाया. इसके बाद उसने मान्या सुर्वे के गैंग से संपर्क साधा. मान्या सुर्वे ने सबीर इब्राहिम को 27 फरवरी 1981 की रात को एक पेट्रोल पंप के बहार मार गिराया. अपने भाई की मौत से बौखला कर दाऊद ने अपने भाई की मौत का बदला लेने का ठाना. मान्या सुर्वे के आतंक की वजह से पुलिस ने 11 जनवरी 1981 के दिन उसका एनकाउंटर कर दिया. मान्या सुर्वे का एनकाउंटर करने वाले पुलिस अधिकारी थे ACP इशाक बागबान. यह मुंबई पुलिस की इतिहास का पहला एनकाउंटर था.
इधर समद खान भी अपने साथी अमीरजदा और आलमजेब के साथ भाग कर गुजरात के अहमदाबाद में आ गया और वहाँ के डॉन अब्दुल लतीफ से दोस्ती कर उसके पनाह में रहने लगा. परंतु एक केस की सुनवाई के लिए मुंबई के सेशन कोर्ट में जाते समय दाऊद के शूटर डेविड परदेशी ने अमीरजदा को दिन दहाड़े गोलियों से भून दिया. इस हत्या से अब्दुल लतीफ और दाऊद में गैंगवॉर शुरू हो गया. अब्दुल लतीफ ने दाऊद पर अहमदाबाद में हमला भी करवाया था. परंतु उसमे दाऊद बच गया. (ज्यादा जानकारी के लिए अब्दुल लतीफ गुजरात का दाऊद पढ़े) बाद में दोनों के बीच दोस्ती हो गई थी. दाऊद ने अपने भाई की हत्या का बदला 5 वर्षों के बाद 1986 में समद खान की हत्या कर के लिया. करीम लाला ने भी अपनी बढ़ती उम्र की वजह से अपराध की दुनिया से दुरी बना कर खुद को समेट लिया था. ऐसे दाऊद मुंबई अंडरवर्ल्ड का एक मात्र डॉन बन चूका था.
दाऊद के डॉन बनने तक सोने चाँदी की तस्करी में मुनाफा कम और खतरा ज्यादा था. ऐसे में दाऊद ड्रग्स की तरफ मुड़ा और मुंबई में ड्रग्स की तस्करी करने लगा. उसके बाद उसने अवैध हथियारों के धंधे में भी हाथ डाला. मुंबई से अरब के देशो के शेखों को लड़कियाँ भेजने का काम भी जोर शोर से चलने लगा. इसके अलावा वह मुंबई के बिल्डरों से फिरौती वसूलने लगा. साथ ही साथ अंडरवर्ल्ड का बॉलीवुड स्टार्स के साथ फोटो खिचवाने और फिल्मों में पैसे लगाने तक के रिश्ते को भी पूरी तरह से बदल दिया. इसके बाद दाऊद बॉलीवुड में दखल देने लगा. किसी को फिल्म दिलवाना, किसी को फिल्म से निकलवा देने से बात शुरू हुआ और बाद में यह बॉलीवुड से जुड़े लोगों से भी वसूली और उन पर गोलीबारी तक पहुँचा. इधर समद खान की हत्या के मामले में पुलिस दाऊद को ढूँढ रही थी. तभी 1986 में दाऊद भाग कर दुबई पहुँच गया और वही से अपने धंधे सँभालने लगा. अब दाऊद पुरे अंडरवर्ल्ड का डॉन बन चूका था. परंतु अभी उसके कई अपराधों में एक और अपराध का नाम जुड़ना बाकि था.

1993 मुंबई बम धमाके
दाऊद मुंबई में ड्रग्स की तस्करी समुंद्री रास्ते से ही करता था. ऐसे में उसका माल अक्सर समुंद्र में ISI के पालतू डॉन असलम भट्टी और दाऊद जाट पकड़ लिया करते थे. इस से दाऊद काफी परेशान रहता, क्योंकि उसका काफी बड़ा नुकसान हो रहा था. उसी समय अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 के दिन बाबरी मस्जिद को गिराया गया और उसके बाद जो दंगे हुए उसकी आग मुंबई के डोंगरी तक पहुँच गया. डोंगरी के मुसलमान औरतों ने दाऊद को अपनी टूटी चूड़ियाँ पार्सल में भेजा और साथ में एक चिठ्ठी भी भेजा. जिसमें लिखा था, "दाऊद तू हमारा भाई नहीं. तू हमारा बेटा नहीं." इधर दाऊद के माल को असलम और जाट ने पकड़ लिया था. दाऊद परेशान था. तभी उसे ISI की तरफ से फोन आया. उसे उसके माल को वापस दिलवाने और पाकिस्तान के किसी भी गैंग से हमेशा के लिए अभयता देने की पेशकश रखा. बदले में दाऊद को 6 दिसंबर का बदला लेना था. दाऊद को डोंगरी की औरतों की भेजी गई चूड़ियाँ और साथ में ISI के प्रस्ताव ने बदला लेने के लिए हाँ कहने पर मजबूर कर दिया. दाऊद बड़े बड़े हिन्दू नेता जैसे बाला साहेब ठाकरे, लाल कृष्णा अडवाणी इत्यादि को मारने की तैयारी कर ही रहा था, तब तक टाइगर मेनन ने मुंबई में बम ब्लास्ट करने का सुझाव दिया. दरअसल मुंबई में हुए दंगों में टाइगर मेनन का बहुत नुकसान हुआ था. ऐसे में टाइगर मेनन को बदला लेना था, तो उसने जिहाद के बहाने यह सुझाव दिया. मुंबई में बम धमाका हुआ और दाऊद का हमेशा के लिए भारत आने का सपना खत्म हो गया. इसी के साथ दाऊद भारत का सबसे बदनाम डॉन बन गया, जिसने तस्करी से शुरू कर के मुंबई अंडरवर्ल्ड को आतंकवाद के दरवाजे तक पहुँचा दिया. इसी के साथ पाकिस्तान ने दाऊद के लिए अपने दरवाजे खोल दिए. दाऊद को मुंबई अंडरवर्ल्ड में सभी भाई के नाम से बुलाने लगे. अक्सर फिल्मों में भी इस शब्द का इस्तेमाल होते सुना होगा.

इस धमाके के बाद दाऊद का कभी दाहिना हाथ कहलाने वाला और दाऊद जिसे छोटा भाई मानता था, ऐसा छोटा राजन दाऊद से अलग होकर अपनी अलग गैंग बना लिया और उसने दाऊद से बदला लेने का तय किया छोटा राजन से खुद को देशभक्त डॉन कहा और उसकी छवि देशभक्त हिन्दू डॉन की बन गई. इन दोनों के बीच में गैंगवॉर छोटा राजन के 2015 में पकड़े जाने तक चलता रहा.

मुंबई पुलिस और दाऊद इब्राहिम
 डी कम्पनी के नाम से अपना कारोबार चलाने वाले दाऊद इब्राहिम का मुंबई पुलिस के साथ संबंध बहुत अच्छे रहे है यह एक खुला हुआ राज है जो सभी जानते है यहाँ तक कहा जाता है कि दाऊद इब्राहिम कासकर को डी कम्पनी का CEO और भाई बनाने में मुंबई पुलिस का बहुत बड़ा हाथ है. अगर मुंबई पुलिस दाऊद का साथ नहीं देती तो शायद दाऊद इतना बड़ा डॉन नहीं बन पता मुंबई पुलिस ने भी ऐसे ही दाऊद का साथ नहीं दिया उसका भी अपना मतलब था दाऊद मुंबई पुलिस को पैसे देता था और किसी को जान से मरवाना हो तो वह पुलिस को खबर दे देता और पुलिस जाकर उसे मार देती बदले में दाऊद पुलिस को पैसे दे देता साथ ही साथ अखबारों में इन पुलिस वालों कि तस्वीरें भी छपती ये पुलिस वाले भी उस समय खुद को बॉलीवुड के स्टार से कम नहीं समझते थे बल्कि उन से बढ़ कर ही समझते थे क्योंकि वो रील लाइफ के हीरो थे और ये रियल लाइफ के यहाँ तक कहा जाता है कि एक समय दाऊद के लिए ही काम करने वाले कुख्यात अपराधी दिलीप भुआ और उसकी गैंग जिसमें माया डोलस भी था, उनके एनकाउंटर का खबर भी दाऊद ने ही दिया था अंडरवर्ल्ड से संबंध की वजह से मुंबई पुलिस के अधिकारी ससपेंड भी हो चुके है और जेल में भी जा चुके है यह बात किसी से छुपा नहीं है कि दाऊद भले ही भारत देश छोड़ कर जा चूका है परंतु उसका पुलिस और कुछ राजनेताओं तक अच्छी पहुँच है वर्ण दाऊद अब तक बचा नहीं रहता

बॉलीवुड से संबंध
बॉलीवुड से फिरैती लेना, फिल्मों में पैसा लगाना, इन दो चीजों के अलावा दाऊद किसे काम देना है और किसे काम से निकल देना है, तक सभी कामों में दाऊद की मर्जी चलती है. इसके अलावा हाजी मस्तान की तरह ही इसे भी बॉलीवुड स्टार्स के साथ फोटो खिचवाना पसंद था. इसके बॉलीवुड में कई दोस्त है. मन्दाकिनी नाम की अभिनेत्री तो दाऊद की प्रेमिका रह चुकी है. लगभग बॉलीवुड के सभी बड़े सितारे दाऊद के संपर्क में रहे ही है और समय समय पर इसका नाम बॉलीवुड के किसी न किसी कांड में उछलता ही रहा है. अभी इसका नाम सुशांत सिंह राजपुत के आत्महत्या में भी उछाला है. वैसे अभी यह मामला सीबीआई में है और यही जांच हो रहा है कि सुशांत ने आत्महत्या किया था या उसकी हत्या कर इसे आत्महत्या दिखाने का प्रयत्न किया गया है.

अभी दाऊद पाकिस्तान के करांची शहर में रह रहा है. पाकिसतन ने खुद इस बात को स्वीकार भी किया है. बाद में वह मुकर भी गया है. साथ ही साथ दाऊद को पाकितानी अभिनेत्री मेहविश हयात से प्यार होने की खबरें भी आ रही है, जो दाऊद से 27 वर्ष छोटी है. कोई छोटे शहर की साधारण सी लड़की रातों रात सुर्खियों में आ जाए और महज दो वर्ष फिल्मों में काम करने के बाद ही उसे देश के सर्वोच्य नागरिक सम्मान से सम्मानित कर दिया जाए, तो सवाल तो उठेंगे ही.

दाऊद भारत का मोस्ट वांटेड अपराधी होने के साथ साथ UN की सुरक्षा परिषद् ने इसे वैश्विक आतंकवादी भी घोषित कर दिया है UN ने माना है कि दाऊद पाकिस्तान में रहता है पाकिस्तान में दाऊद का जो घर है वह 6000 स्क्वायर यार्ड में फैला हुआ है और उसके घर का पत्ता है D-13, Block-4, Clifton, Karachi, Pakistan. पाकिस्तान का यह इलाका डिफेन्स का इलाका है जहा डिफेन्स के बड़े बड़े अधिकारी रहते है.

2015 में फोर्बेस मैगजीन के रिपोर्ट के अनुसार दाऊद के पास कुल 7.1 बिलियन डॉलर की संपत्ति है, जो भारतीय रुपयों में लगभग 52,000 करोड़ होता है. दाऊद पर भारत ने 25 मिलियन डॉलर का इनाम भी रखा है. इतने ताकतवर होने के बाद भी ऐसा नहीं है कि दाऊद को मारने की कभी कोशिश किया ही न गया हो. मारने की कोशिश किया गया है. कभी उसके नसीब ने उसे बचाया, तो कभी मुंबई के भ्रष्ट पुलिस वालों ने, जिन्होंने खुद के जमीर को दाऊद के हाथों बेच दिया है. अगले लेख में हम दाऊद इब्राहिम को मारने की तीन कोशिशों के बारे में बात करेंगे. अगर पसंद दाऊद इब्राहिम पर लिखा मेरा यह आर्टिकल पसंद आया हो, तो Like, Comment, Share और The Puratchi Blog Subscribe करें.

जय हिन्द
वंदेमातरम


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