चीन विश्व के लिए एक खतरा Skip to main content

चीन विश्व के लिए एक खतरा

भारत और चीन की सेना गलवान घाटी और पैंगोंग त्सो लेक पर मई महीने से ही आमने सामने खड़ी है. 15-16 की रात इन दोनों सेनाओं के बीच में खूनी झड़प भी हुई, जिसमें भारत देश के 20 वीर जवान वीरगति को प्राप्त हुए और चीन की सेना के तरफ से 40 से 100 सैनिकों के मारे जाने की खबर है. हालाँकि चीन ने आधिकारिक तौर पर इस बात को स्वीकार नहीं किया है. चीन के लिए गलवान घाटी और DSDBO रोड बहुत महत्वपूर्ण है. इसी वजह से चीन यहाँ से पीछे नहीं हटाना चाहता. पर भारत के प्रयासों और कूटनीतिक दबाव की वजह से चीन फिंगर 8 तक पीछे हटाने की तैयार तो हो गया, परंतु वह फिंगर 4 से 5 के बीच में आ गया और अब इस से पीछे हटाने से इंकार कर रहा है.
डोकलाम की ही तरह यह मामला भी इतनी आसानी से सुलझाता नहीं दिख रहा. चीन के आतंरिक स्थिति जब जब असंतुलित हुई है चीन अपने पड़ोसी देशों पर आक्रामक हुआ है, चाहे आप 1962: नेहरू चीन युद्ध का उदाहरण ले ले या अभी के गलवान घाटी का. हालाँकि की नेहरू चीन युद्ध में नेहरू की खराब नीतियों की कीमत भारत देश को चुकाना पड़ा और इस एक तरफा युद्ध में रेजॉन्ग ला का युद्ध और जसवंत सिंह रावत को छोड़ दे तो चीन भारत पर हावी रहा था. उसके बाद जब भारत और चीन के बीच 1967: प्रथम युद्ध हुआ तब चीन को भारत के सैनिकों की ताकत का अंदाजा हुआ और चीन को हार का मुँह देखना पड़ा. यही कारण था कि चीन 1971 में भारत पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में चीन पाकिस्तान की मदद के लिए आगे नहीं आया. इसके बाद भी चीन भारत से जब जब टकराया, भारतीय सैनिकों ने चीन को पीछे धकेला.
भारत का चीन एक ऐसा पड़ोसी जिस से दुनिया परेशान है. परंतु चीन को हल्के में लेकर भारत ही नहीं बल्कि पुरे विश्व के देश बहुत बड़ी गलती कर रहे है. चीन के राष्ट्रपति जिंगपिंग ने चीन की सेना को 2050 तक विश्व की सबसे बड़ी और शक्तिशाली सेना बनाने का लक्ष्य रखा है. सबसे शक्तिशाली से मतलब है विश्व के सभी देशों से एक साथ लड़ सकने जितना शक्तिशाली. इसी वजह से चीन नामक समस्या का स्थायी समाधान ढूँढना जरुरी है. उसके लिए भारत को पहल करनी चाहिए और विश्व के अन्य देशों को भारत का साथ देना चाहिए.

चीन की ताकत पर वार
चीन की ताकत है उसका व्यापार. विश्व के सभी देशों को चीन से धीरे धीरे अपने व्यापारिक रिश्ते कम कर देने चाहिए. जिन उत्पादों का विकल्प किसी और देश के पास उपलब्ध हो तो उन सभी उत्पादों को उस देश से ही खरीदना चाहिए. साथ ही साथ चीन से आने वाले उत्पादों पर कर बढ़ा उस उत्पाद की कीमत को बढ़ा देना चाहिए. जिन जिन उत्पादों का विकल्प उपलब्ध नहीं है उसका उपलब्ध ढूंढ़ने के बाद व्यापर हो नहीवत कर देना चाहिए. सिर्फ इतना करने से ही चीन की आर्थिक शक्ति टूट जाएगी और इस से चीन की जनता ही अपने सरकार के खिलाफ विद्रोह कर देगी. चीन की आर्थिक शक्ति खत्म मतलब चीन खत्म. यह कहने में जीतन आसान लग रहा है उसका आसान नहीं है जनता हूँ. परन्तु करना पड़ेगा. वरना आज चीन सिर्फ आंख दिखा रहा है, कल जब यह और शक्तिशाली हो जायेगा तब यह किसी की इज्जत नहीं करेगा. सभी पर दादागिरी करेगा.

चीन की दादागिरी का विरोध करना
इसकी शुरुआत भारत को तिब्बत की स्वतंत्रता के लिए अंतर्राष्ट्रीय मंच पर आवाज उठा कर करना चाहिए. चीन ने तिब्बत पर 1950 में बलपूर्वक अपना अधिपत्य जमा लिया था. उस समय नेहरू चुप रहे थे और चीन हमारे पड़ोस में आकर बैठ गया. अब इसे सुधरने की जरुरत है. भारत के साथ साथ विश्व के सभी देश को मिल कर के तिब्बत, पूर्वी तुर्किस्तान, दक्षिणी मंगोलिया के लिए आवाज़ उठाना चाहिए जिस पर चीन जबरदस्ती कब्जा कर के बैठा हुआ है. इसके अलावा ताइवान, हांगकांग और मकाऊ जैसे देशों के समर्थन में सभी देशों को अपना आवाज उठाना चाहिए. जापान को अमेरिका के साथ मिल सेनकाकू द्वीप पर अपनी दावेदारी को और प्रबलता से रखना चाहिए. जिस से चीन अपने ही पैदा किए हुए विवाद में फंस जाए. रूस को इस बार चुप रहने की जगह अन्य देशों का साथ देना चाहिए. क्योंकि 1969 के बाद चीन ने रूस के व्लादिवोस्तोक पर भी अपना दावा कर कर चूका है और उसके लोगों ने भी बड़े ही जोर देकर यह बात कहा है कि आज नहीं तो कल हम इसे वापस लेकर रहेंगे. जिसका मतलब है भविष्य में और शक्तिशाली बनाने के बाद.

अंतराष्ट्रीय दबाव
भारत को इसी के साथ दक्षिणी चीन सागर में अपनी रूचि दिखाना चाहिए. इस से चीन न सिर्फ घिरेगा, बल्कि उस पर दबाव भी बढ़ेगा. यहाँ पर भारत को दक्षिणी चीन सागर में अमेरिका का साथ प्राप्त होगा, जिस से चीन बंध जायेगा. भारत के कई द्वीप है जिसे भारत उपयोग नहीं करता. यह मुख्य समुद्री मार्ग है जहाँ से चीन अपने उत्पादों को भेजता दूसरे देशों में भेजता है. यहाँ पर भारत को अमेरिका से समझता कर के उन द्वीपों पर सैन्य अड्डा बना चाहिए. जिस से चीन पर दबाव बना रहे. यहाँ पर सभी देशों को चौकन्ना रहना पड़ेगा. चीन ने अमेरिका को ध्यान में रख कर अपने मिसाइल बनाया है, जिस से इतने दुरी से भी आराम से अमेरिका पर परमाणु हमला भी कर सके. चीन के पास कैसे कैसे हथियार है यह शायद ही कोई देश जनता होगा. क्योंकि चीन इन सभी चीजों को बहुत ही गोपनीय रखता है. ऐसी स्थिति में चीन और भी खतरनाक हो जाता है. किसी भी देश को भविष्य में चीन को हथियार बेचने से बचना चाहिए. वरना चीन उसमें थोड़ा बहुत बदलाव कर के उसी देश पर उसका इतेमाल करने से नहीं चुकेगा.

भारत को सैन्य ताकत बढ़ाने की जरुरत
भारत देश को हमेशा ही दो देश, चीन और पाकिस्तान, से एक साथ युद्ध के लिए तैयार रहना चाहिए. न सिर्फ तैयार रहना चाहिए बल्कि अपनी सेना की ताकत उसके अनुसार बढ़ाना चाहिए. भारत देश के सेना के पास सही लाइट मशीन गन तक नहीं है. भारत को यह भी पश्चिमी देशों से मंगवाना पड़ रहा है. भारत और चीन के बीच हिमालय खड़ा है. इसकी दुर्गम पहाड़ियों में टैंक तो ज्यादा काम नहीं आएगा, परन्तु भारत के पास आर्टिलरी (बोफोर्स जैसे तोप) की भरी कमी है. उसे भारत को जल्द से जल्द पूरा करना पड़ेगा.
वायुसेना की बात करे तो किसी देश की वायुसेना ही उस देश की मुख्य ताकत माना जाता है. भारत के लड़ाकू विमानों की कमी है. दो देशों से एक साथ युद्ध की स्थिति में भारतीय वायुसेना के पास जितना स्वाड्रन होना चाहिए, उस से भारत के पास कम ही है. ऊपर से मिग 21 रिटायर होने वाले है. जिस से भारत के वायुसेना की ताकत और भी ज्यादा कम हो जाएगी. भारत को जल्द से जल्द से रूस से 12 सुखोई और 22 मिग-29 लड़ाकू विमानों को भारत में लेन के लिए प्रयास करना चाहिए. साथ ही साथ भारत को फ्रांस से राफेल को भी जल्द से जल्द भारत लेन के लिए प्रयत्न करना चाहिए.
भारतीय नौ सेना की हालत भी ज्यादा ठीक नहीं है. भारत के पास महज 15 सबमरीन है. जो पहले से ही चुन के 67 के तुलना में कम है. ऊपर से उन 15 सबमरीन में से भी अधिकतर पुराने है. यह भारत के लिए चिंता का विषय है. हालाँकि भारत ने इस कमी को पूरा करने के लिए अमरीका से P-8 विमान ले रखा है. परंतु भारत को अपनी इस कमी को जल्द से जल्द पूरा करना पड़ेगा.

भारत को अपने विदेश नीति के बारे में गहन अध्यन कर के उसे बदलने की जरुरत है. भारत की इस लचीली और अपने पड़ोसियों के बारे में पहले सोचने की नीति का खामियाजा भारत को समय समय पर भुगतना पड़ा है. इस पर भारत देश के नेताओं को ध्यान देने की जरुरत है. और साथ ही साथ भारत के नेताओं को कम से कम बाहरी आक्रमण के समय एक होकर सत्ता पक्ष के साथ खड़े रहने की जरुरत है. देश रहेगा तो राजनीती भी चलती रहेगी. राजनीति करने के लिए देश का रहना बहुत जरुरी है.

जय हिन्द
वंदेमातरम


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