गलवान घाटी में भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच में 15 16 जून की रात में झड़प हुई थी. इस अचानक हुए हमले के बाद भी बिहार रेजिमेंट के जवानों ने अद्भुत वीरता का प्रदर्शन किया और चीनी सैनिको पर क्रोध के साथ आक्रमण किया कि लगभग 18 चीनी सैनिकों की गर्दन को तोड़ दिया. इस झड़प में भारत के 20 जवान वीरगति को प्राप्त हुए और 40 से ज्यादा चीनी सैनिकों के मरने की खबर है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने सेना को भी गोली चलाने की छूट दे दिया है. अब सेना को तय करना है कि वो गोली या तोप कब चलाएगी? सेना इतनी सक्षम है कि वो चीन को अच्छे से जवाब दे सकती है.
सीमा पर चीन के साथ बिगड़े संबंध के बाद से ही भारत में बॉयकॉट चीन का लहर चल रहा है और 20 जवानों के वीरगति को प्राप्त होने के बाद यह लहर अब सुनामी की तरह पुरे देश में फैल रही है, जिसमे सभी चीनी उत्पादों का विरोध कर रहे है. कुछ लोग चीनी सामानों को तोड़ कर और जला कर चीनी उत्पादों का विरोध कर रहे हैं और साथ ही साथ भारत देश के लोगों से भी चीनी उत्पादों का विरोध करने के लिए कह रहे हैं. चीन अपने व्यापर के दम पर आज ना सिर्फ भारत को बल्कि विश्व के लगभग हर एक देश को आँखे दिखा रहा है. ऐसे में चीनी उत्पादों का बॉयकॉट कर देने से चीन की अर्थव्यवस्था को भरी नुकसान उठाना पड़ेगा. और भारत देश किसी भी उत्पाद के लिए पुरे विश्व में सबसे
बड़ा बाजार है. अब ऐसे सवाल ये उठता है कि क्या वाकई में चीनी उत्पादों का बॉयकॉट संभव है? क्या चीन का बॉयकॉट ही एक मात्र उपाय है? चीनी उत्पादों का बॉयकॉट करने से क्या कुछ चीजे भारत में महँगी नहीं हो जाएगी? आइये देखते है.
क्या चीनी उत्पादों का बॉयकॉट संभव है?
मैं यही तीनों सवालों का जवाब देने का प्रयत्न करूँगा. वैसे इन सवालों का जवाब इतना सीधा नहीं है. भारत सरकार पूरी तरह से चीनी उत्पादों को बैन नहीं कर सकती है. वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाशन का नियम है कि कोई भी देश किसी दूसरे देश के उत्पादों पर पूरी तरह से बैन नहीं लगा सकता है. हाँ अगर उस देश की जनता खरीदने से मना कर दे तो बात अलग है. ग्राहक को कोई मजबूर नहीं कर सकता. इस से कुछ बुद्धिजीवियों को इस सवाल का जवाब मिल गया होगा कि भारत सरकार चीनी सामानों को आने ही क्यों देती है? इसके बाद अब भारत देश की जनता चीनी उत्पादों को खरीदना बंद तो कर दे, पर किस किस चीज का बायकाट करेंगे आप?
कंचे, खिलौने, माँझा, प्लास्टिक की वस्तुएँ टाई कक्तव सोलर पैनल स्क्रू हर एक सामान का डुप्लीकेट फिर चाहे वह कार में लगने वाला कोई सामान हो या कुछ और. अगर मैं चीनी सामान का लिस्ट बनाने बैठ गया तो ये लिस्ट बहुत लम्बी हो जायेगा. बस इतना समझ लें कि एक छोटे से कंचे से बड़े बड़े कंपनियों के मशीन तक चीन से आता है. चीन को बॉयकॉट करने का मतलब है कि अपनी जेब पर असर डालना. अब यहाँ पर आप किसी को गद्दार या देशद्रोही सिर्फ इस वजह से नहीं कह सकते क्योंकि वो कोई चीनी सामान खरीद रहा है! भारत देश में गरीबी बहुत ज्यादा है. ऐसे में सस्ता सामान खरीदना उनकी मजबूरी है. चीन से जब तक संबंध अच्छे थे तब तक हम खुद भी बड़े शौख से चीनी सामानों को खरीदते थे. ये जानते हुए भी कि चीन ना सिर्फ पाकिस्तान की सहायता कर रहा है, बल्कि अलग अलग जगह पर भारत का विरोध भी कर रहा है. ऐसे में हम आज चीन तो चीन का बॉयकॉट कर देंगे, पर कल दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य होने के बाद उसे अपना लेंगे. तो ऐसे बॉयकॉट का कोई मतलब नहीं है. चीन इतने सस्ते में अपना सामान दे रहा है कि उसका बॉयकॉट मुमकिन भी नहीं है और ये बात चीन भी जनता है.
इतना कुछ कहने के बाद भी सवाल वहीं का वहीं है कि क्या चीन का बॉयकॉट संभव है? जवाब है, हाँ. संभव है पर पर उसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना पड़ेगा जिस से न सिर्फ चीन का बॉयकॉट होगा, बल्कि चीन भारत देश में कुछ बेचने को तरस जायेगा. आइये देखते है कैसे?
चीनी सामान का जहाँ तक संभव है उसका विकल्प ढूंढे. जैसे चीन में मोबाइल स्क्रीन गॉर्ड, इअर फोन इत्यादि बहुत काम कीमत पर मिल जाता है. पर इसी कीमत पर वही सामान ताइवान और वियतनाम में भी मिल जाता है. यह दोनों देश चीन के शत्रु भी है. ऐसे में चीन की जगह यही सामान इन दोनों देशो से मंगवाया जाय और चीन के दुश्मन देशों को मजबूत किया जाय. दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है.
अब जहाँ चीनी सामानों का विक्लप नहीं मिल रहा है वहाँ पर चीनी सामानों को महँगा बना कर विकल्प खड़ा करे. चीनी सामानों पर लगने वाले टैक्स को बढ़ा दे और दूसरे देश से जो सामान ले उस पर टैक्स को थोड़ा कम कर दे. इस से अपने आप दूसरे देशों के सामान कम कीमत पर मिलने लगेंगे. भारत देश के लोग अपने आप चीनी सामान से दूर हो जाएँगे और यह दुरी हमेशा के लिए रहेगा. इतना करने के बाद खुद चीन घुटने के बल आएगा हमारे पास कि हमें व्यापार करना है. तब उसे एक मौका दे पर एक शर्त के साथ. भारत में तुझे जो कुछ बेचना है बेच, टैक्स भी काम लेंगे, पर उसका उत्पादन भारत देश में ही होगा. सीधा मतलब भारत देश में कंपनी लगाओ. इस से ना सिर्फ भारत देश में रोजगार बढ़ेगा बल्कि निवेश भी बढ़ेगा और चीन हमेशा भारत के नीचे रहेगा.
हमारे कुछ फ़िल्मी सितारे जो चीनी मोबाइल के ब्रांड अम्बेसेडर बने है, कुछ टीवी शो जिसके स्पोंसर वीवो ओप्पो है, इन सबका बॉयकॉट कर के इन्हे अपना स्पोंसर बदलने के लिए मजबूर कर सकते है. ये पूरी तरह से हमारे हाथ में है. जनता जिसे चाहे बना दे, जिसे चाहे बिगाड़ दे. जनता से बैर कर के कोई सुपर स्टार नहीं बन सकता और न ही कोई फिल्म 300 करोड़ कमा सकता है. यह हमारे देश का दुर्भाग्य है कि सेक्स और फूहड़ विषयों पर बनी फिल्में खूब पैसे कमा लेती है वहीं देश पर बनी फिल्में दर्शको के लिए तरसती रहती है. यहाँ तक की वो फिल्में कब आती है कब चली जाती है किसी को पता तक नहीं चलता. कितने लोगो ने 1967: भारत चीन प्रथम युद्ध पर बनी पल्टन फिल्म देखा था?
चीन से कोरोना वायरस फैलने की वजह से कई देश अपने देश के कंपनियों को चीन छोड़ कर वापस आने को कह चुके है. भारत देश को ऐसे कंपनियों को लुभाने का प्रयत्न करना चाहिए. अगर वो कंपनी भारत देश में आने को तैयार हो गई तो कल तक जो चीन की ताक़त थी, वही भारत की ताक़त बन जाएगी और यह काम भारत देश के अलावा और कोई नहीं कर सकता. क्योंकि आज भारत देश न सिर्फ विश्व का सबसे बड़ा बाजार है बल्कि सबसे ज्यादा मैन पावर भी भारत के पास ही है.
यह भी सिर्फ तभी हो सकता है जब सरकार सरकारी नौकरों की जवाबदेही तय करे. सरकारी नौकरी वाले नौकरी मिलने के बाद लापरवाह इसी वजह से हो जाते है क्योकि उनको नौकरी जाने का दर नहीं होता होता.
रामायण में लिखा है "भय बिनु होइ न प्रीति". सरकार को सरकारी नौकरो की जवाबदेही तय करना होगा. उनकी सैलरी प्राइवेट कंपनियों की तरह परफॉर्मन्स बेस कर देना चाहिए. जैसा काम करो वैसी सैलरी पाओ. हर महीने कुछ टारगेट दे. टारगेट के पूरा होने पर या उसके हिसाब से सैलरी दे. सैलरी कम आने के डर से वह खुद ही अपने काम में सुधर करने लगेंगे. सुधार ना होने की स्थिति में 4 बार चेतावनी, उसके बाद कारण बताओ नोटिस. इस से उस सरकारी नौकर को भी मौका मिले अपनी बात करने का. अगर उसके जवाब से संतुष्टि हो तो वापस नौकरी पर भेज दे, वरना हमेशा के लिए छुट्टी. अगर हमारे सरकारी नौकर सुधर जाये तो हमारा देश ऐसे ही बहुत तरक्की कर जायेगा.
वैसे मैं इसका कोई विषेशज्ञ नहीं हूँ. कुछ न्यूज़ आर्टिकल्स पढ़ने और कुछ वीडियोस देखने के बाद मेरे मन में भी कुछ सुझाव आया जिसे मिला कर मैंने ये लिख दिया. मैंने 2011 से जितना हो सके स्वदेशी निर्मित वस्तुएँ लेने की कोशिश करता हूँ. अपने रिश्तेदारों और अपने दोस्तों को भी इसी के लिए प्रेरित हूँ.
जय हिन्द
वन्देमातरम
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