अगर भारत चीन में युद्ध हुआ तो..? Skip to main content

अगर भारत चीन में युद्ध हुआ तो..?

 आज सुबह की शुरुआत इसी खबर के साथ हुई है कि भारतीय सेना को LAC पर पूरी स्वतंत्रता दे दी गई है.

मतलब जरूरत पड़ने पर सेना को गोली चलना है या तोप यह सेना को तय करना है. इसके लिए सेना को नई दिल्ली से आदेश लेना का या आदेश की प्रतीक्षा करने की जरुरत नहीं है. यह सबसे अच्छी खबर है. अगर सेना सीमा पर खड़ी है तो उसे जरुरत के हिसाब से कार्यवाही करने की पूरी स्वतंत्रता होनी ही चाहिए. साथ ही साथ सेना के जवानो की छुटियाँ रद्द कर दी गई है और सेना को वापस बुला लिया गया है. LAC पर सेना और वायुसेना की गतिविधियों में तेजी आई है. ऐसे में मन में प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि क्या दोनों देशो के बीच युद्ध तय है?
अगर युद्ध हुआ तो कौन विजयी रहेगा? कौन कौन से देश भारत का साथ देंगे और कौन कौन से देश चीन का? आइए इन प्रश्नों के जवाब को जानने की कोशिश करते है.

क्या युद्ध तय है?
99% उममीद है कि युद्ध नहीं होगा. चीन पहले से ही विश्व पटल पर कोरोना वायरस की वजह से घिरा हुआ है. लगभग हर एक देश चीन के खिलाफ है. ऐसे में चीन भारत से युद्ध मोल नहीं लेना चाहेगा. उसके अलावा जो भारत और चीन के बीच व्यापारिक संबंध है चीन उसे ख़राब करना नहीं चाहेगा. वरना वो भारत तो छोड़ो बाकि दूसरे देशो में भी अपना माल सामान नहीं भेज पायेगा. इसका कारण हम आगे देखेंगे.

कौन विजयी रहेगा?
यह प्रश्न अपने आप में ही निरर्थक है. क्योकि आज दोनों देश परमाणु संपन्न देश है. भारत ने कहा है कि वो पहले परमाणु हथियार का इस्तेमाल नहीं करेगा. चीन ने भी यही कहा है. ऐसे में अगर हम चीन की बात पर भरोषा (कभी नहीं) करें और मान लें कि दोनों देशो के बीच परमाणु युद्ध नहीं होगा तो दोनों देश के ताकत की तुलना नीचे है. मैंने इन आंकड़ों का औसत लिया है क्योंकि कोई भी देश अपनी ताक़त के बारे में सही नहीं बताता (खाश कर चीन). इसी वजह से हर जगह पर ये आंकड़े अलग अलग हैं. ऐसे में आंकड़े बदल सकते है.

चीन के राष्ट्रपति जिंग पिंग ने चीन को 2050 तक अपनी सेना को विश्व में सबसे ज्यादा ताक़तवर बनाने के लक्ष्य बनाया है. इसी वजह से चीन लगातार अपने सैन्य बजट को बढ़ा रहा है.
  • चीन अपनी सेना पर 261 बिलियन डॉलर खर्च करता है, जो अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा है वही उस पर 1.5 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज भी है.
  • भारत अपनी सेना पर 71.1 बिलियन डॉलर खर्च करता है, जो चीन का लगभग चौथा भाग जितना है. तो भारत पर कर्ज भी चीन से 3 गुना कम है.

  • AIR FORCE

C-17 Globemaster
चीनी वायुसेना आपको देखने में बहुत ताक़तवर लग रही होगी पर चीन और भारत की पूरी सीमा पर हिमालय की पर्वत श्रंखला है. हिमालय को ऐसे ही भारत का पहरेदार नहीं कहा गया है. सियाचिन हो, गलवान घाटी हो, चुशुल हो, नाथू ला हो, चो ला हो या अरुणाचल प्रदेश हर एक जगह हिमालय है. इसी वजह से यहाँ फाइटर प्लेन काम नहीं आएगा.
चिनूक
काम आएगा तो सिर्फ हमला करने के लिए अटैक हेलीकाप्टर और सेना या माल सामान पहुँचाने के लिए हेलीकाप्टर और मालवाहक विमान (Transportation Planes). चीनी अटैक हेलीकाप्टर संख्या में भले ज्यादा हो, पर भारत के पास अपाचे हेलीकाप्टर है जो अपनी क्षमता का प्रदर्शन करता रहा है. Transportation की बात बात करे तो भारत के पास C-17 ग्लोबमास्टर है, जिसे हम पहले ही दौलत बेग ओल्डी में सफलता पूर्वक उतार चुके है और इसके वजन उठाने की क्षमता 70 टन है. इसके अलावा भारत के पास चिनूक हेलीकाप्टर है. इसका भी वजन उठाने की क्षमता अद्भुत है.

  • NAVY



चीन की नेवी भी काफी बड़ी है, परन्तु चीन की समुद्री सीमा और उसकी सीमा के पंगे भी बड़े है. चीन किसी भी कीमत पर दक्षिण चीन सागर छोड़ कर नहीं हटेगा. 
P-8I
अमेरिका वहाँ पहले से मौजूद है. Aircraft Carrier का भी उसे कुछ अनुभव नहीं है जबकि भारत में से 3 Aircraft Carrier सेवानिवृत हो चुके है. "Silent Killer" कहे जाने वाले पनडुब्बियों से भारत को खतरा है. क्योकि चीन के पास इनकी संख्या भी ज्यादा है और भारत के पास जितने भी पनडुब्बियाँ है उनमे से भी कुछ पुरानी है. पर भारत ने इसका उपाय पहले से ही कर लिया है. भारत देश ने अमेरिका से P-8I विमान ले रखा है जिसे "Submarine Hunter या Killer" कहते है. यह पानी के अंदर चल रहे पनडुब्बियों को धुंध कर मारने में सक्षम है. पर वह दक्षिण चीन सागर से हटाने का खतरा नहीं लेगा.

  • ARMY

देखने में चीन की सेना भी काफी बड़ी लग रही है. 22 लाख   के सामने 14 लाख. पर ये Active Army की संख्या है. Reserve Army चीन के पास 3 से 5 लाख है जबकि भारत के पास 21 लाख. अगर Active और Reserve दोनों की संख्या को जोड़ दे तो भारत के पास दुनिया की सब्से बड़ी सेना है. बात करे टैंक की तो पहाड़ी इलाका होने की वजह से उसका भी ज्यादा काम नहीं आएगा. इसी वजह से भी सेना जा रही है वो टैंक लेकर नहीं जा रही है. Armoured Vehicle ये चीन के पास ज्यादा है. चीन को इसकी जरुरत भी ज्यादा है. 
भारतीय सेना को पुरे भारत में कही भी आने जाने के लिए इन Vehicles की जरुरत नहीं है. यहाँ पर चीन सिर्फ राकेट लौन्चर में भारत पर भरी पड़ता दिख रहा है. पर ऐसा नहीं है.
 चीन भारत का तीन गुना है. मतलब उसे अपने देश की सीमा की रक्षा के लिए बहुत संख्या में सेना और उस से जुड़े हथियार और गोला बारूद चाहिए. तो कुछ बभी हो जाये वो अपने देश के बाकि सीमा को छोड़ कर सिर्फ भारत से लड़ने तो नहीं आएगा. लगभग 22,000 KM की सीमा वाले चीन, जिसका अपने 10 पड़ोसियों से सीमा विवाद चल रहा हो, वह कभी भी अपनी पूरी सेना लेकर भारत से लड़ने नहीं आएगा.
उसके बाद चीन की 80% जनसँख्या लद्दाख से दुर दूर रहती है. वहाँ तक हर एक हथियार लेन के लिए भी सेना और ट्रांसपोर्टेशन व्हीकल चाहिए. उसे ये सब चीन के विरुद्ध में जा रहा है. 
इन सभी बातो के उपरांत कुशल नेतृत्व की कमी भी चीन के विरुद्ध में जाती है. चीन के पास अनुभव की कमी है जबकि भारत के पास ज्यादा युद्ध अनुभव है. भारत चीन की पूरी सीमा पहाड़ो मे स्थित है. इसी को ध्यान में रख कर भारत ने पहाड़ो में लड़ सके और बहुत कुशलता से लड़ सके ऐसे माउंटेन स्ट्राइक कोर का गठन किया था जो पुरे विश्व में प्रथम है.
उसके अलावा चीन भारत से जितनी बार टकराया है भारत ने चीन को पीछे धकेला है. चीन की आदत है कि जहाँ भी उसे मौका मिलता है सीमा में घुसने का, वह घुस कर तम्बू लगा कर बैठ जाता है. ऐसे में चीन को भारत ने धकेला है. अगर आपके मन में गलती से भी 1962 का ख्याल आ रहा हो तो याद रखे 1962: नेहरू चीन युद्ध था. अगर अभी भी 1962 दिमाग से नहीं जा रहा 1962: रेजांग ला का युद्ध और जसवंत सिंह रावत को याद रखे.

अंतर्राष्टीय संबंध 
अंतर्राष्टीय संबंध के बारे में कहा गया है, "In International Politics, There are no Permanent Enemies, No Permanent Friends. Only Permanent Interest". अभी अमेरिका का फायदा भारत का ही साथ देने से है. क्योकि चीन अमेरिका को भी आंखे दिखने लगा है. जापान और चीन के प्राचीन समय से ही संबंध ख़राब रहे है. यूरोप पहले से ही चीन के खिलाफ है. ऑस्ट्रेलिया से भारत ने सैन्य समझौता कर के रखा है. रूस अगर भारत का साथ नहीं देगा तो वह भारत के खिलाफ भी नही जायेगा. 1962 में रूस क्यूबा मिसाइल संकट की वजह से भारत का साथ नहीं दे पाया था तो तथस्ट रहा था. इजराइल तो भारत का पुराना मित्र है. पाकिस्तान के बारे में बात कर के कोई मतलब नहीं है. इसी वजह से मैंने उसके बारे में कुछ नहीं कहा.

निष्कर्ष
सीधी सीधी बात यह है कि चीन और भारत के मुकाबला मे भारत का पलड़ा भारी है. पर आज दुनिया मिसाइलो की है और चीन ने ऐसे मिसाइल बना लिया है जो अमेरिका तक मार कर सकती है. तो कुछ कहा नहीं जा सकता.
आप सब से एक निवेदन है कि भले आप किसी पार्टी के हो किसी भी विचारधारा के समर्थक हो, पर आज इस मुश्किल घडी में देश के साथ खड़े हो और देश के लिए खड़े हो.

जय हिन्द
वन्देमातरम


Comments

Popular posts from this blog

राजा पुरु और सिकंदर का युद्ध

भारत प्राचीन काल से ही अति समृद्ध देश रहा है. इसके साक्ष्य इतिहास में मिलते है. इसी वजह से भारत को सोने की चिड़ियाँ कहा जाता था. यह भारत की समृद्धि ही थी, जिसके वजह से विदेशी हमेशा से ही भारत की तरफ आकर्षित हुए है और भारत पर आक्रमण कर भारत को विजयी करने की कोशिश करते आए है. भारत पर आक्रमण करने वालों में सिकंदर (Alexander), हूण, तुर्क, मंगोल, मुगल, डच, पुर्तगाली, फ्रांसिसी और ब्रिटिश प्रमुख है. आज से हम भारत पर हुए सभी विदेशी आक्रमणों की चर्चा करेंगे. साथ ही साथ हम ऐसे महान राजा, महाराजा और वीरांगनाओं पर भी चर्चा करेंगे, जिन्होंने इन विदेशी आक्रांताओ के विरुद्ध या तो बहादुरी से युद्ध किया या फिर उन्हें पराजित कर वापस लौटने पर मजबूर कर दिया. यह केवल एक इसी लेख में लिख पाना संभव नहीं है. वजह से इसके मैं कई भागों में लिखूँगा. इस कड़ी के पहले भाग में हम बात करेंगे सिकंदर की, जिसे यूरोपीय और कुछ हमारे इतिहासकार महान की उपाधि देते है. हम इस बात पर भी चर्चा करेंगे कि क्या सिकंदर वास्तव में इतना महान था या फिर यूरोपीय इतिहासकारों ने सिकंदर के बारे में कुछ ज्यादा ही बढ़ा चढ़ा कर लिखा है? इसमें हम बह

वरदराजन मुदालियर: मुंबई अंडरवर्ल्ड का पहला हिन्दू डॉन

मुंबई अंडरवर्ल्ड के पिछले भाग में हमने पढ़ा था,  करीम लाला  के बारे में, जिसने मुंबई अंडरवर्ल्ड को बनाया. आज हम बात करेंगे मुंबई अंडरवर्ल्ड के उस डॉन के बारे में, जिसे शायद सबसे काम आंका गया और इसी वजह से उसके बारे में ज्यादा बात नहीं होता. इसका शायद एक बड़ा कारण यही रहा है कि इस डॉन का दाऊद इब्राहिम से कोई खास लेना देना नहीं था. अंडरवर्ल्ड के उन्ही डॉन के बारे ज्यादा पढ़ा और लिखा जाता है, जिनका दाऊद इब्राहिम से कोई रिश्ता रहा हो. जैसे करीम लाला, जिसके पठान गैंग के साथ दाऊद इब्राहिम की दुश्मनी थी और हाजी मस्तान, जिसके गैंग में रह कर दाऊद ने सभी काम सीखा था. शायद यही कारण रहा है इस डॉन के उपेक्षित रहने का. हम बात कर रहे है मुंबई अंडरवर्ल्ड के पहले हिन्दू डॉन के बारे में, जिसका नाम है वरदराजन मुनिस्वामी मुदालियर. आइए देखते है  इसके बारे में. प्रारंभिक जीवन वरदराजन मुदालियर का जन्म मद्रास प्रेसिडेंसी के तूतीकोरन (आज का थूटुकुडी, तमिलनाडु) में 1 मार्च 1926 में हुआ था. उसका परिवार आर्थिक रूप से संपन्न नहीं था. तूतीकोरन में ही उसकी प्रारम्भिक शिक्षा हुआ. उसके बाद मुदालियर वही पर नौकरी करने लगा

भारत चीन विवाद के कारण

भारत और चीन के बीच का तनाव बढ़ते ही जा रहा है. 5 मई को धक्के मुक्की से शुरू हुआ यह सिलसिला 15 जून को खुनी झड़प तक पहुँच गया. चीन ने कायरता से भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया, जिसमें हमारे 20 वीर सिपाही वीरगति को प्राप्त हुए. उसके बाद जब भारतीय सैनिकों ने कार्यवाही किया तो उसमें चीन के कम से कम 40 से ज्यादा सैनिक मारे गए. हालाँकि चीन ने कभी इस बात को स्वीकार नहीं किया. उसके बाद अब स्थिति यहाँ तक पहुँच चुका है कि सीमा पर गोलीबारी भी शुरू हो चुका है. यह गोलीबारी 45 वर्षों के बाद हुआ है. आज हम यहाँ यह समझने की कोशिश करेंगे कि चीन आखिर बॉर्डर पर ऐसे अटका हुआ क्यों है? चीन भारत से चाहता क्या है? चीन के डर की वजह क्या है? भारत के साथ चीन का सीमा विवाद पुराना है, फिर यह अभी इतना आक्रामक क्यों हो गया है? इन सभी के पीछे कई कारण है. जिसमें से कुछ मुख्य कारण है और आज हम उसी पर चर्चा करेंगे. चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) One Road, One Belt. जिसमें पिले रंग से चिंहित मार्ग चीन का वर्तमान समुद्री मार्ग है . चीन का यह महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट 62 बिलियन डॉलर की लागत से बन रहा है. यह प्रोजेक्ट चीन के

गल्वान घाटी गतिरोध : भारत-चीन विवाद

  भारत और चीन के बीच में बहुत गहरे व्यापारिक रिश्ते होने के बावजूद भी इन दोनो देशों के बीच टकराव होते रहे है. 1962 और 1967 में हम चीन के साथ युद्ध भी कर चुके है. भारत चीन के साथ 3400 KM लम्बे सीमा को साँझा करता है. चीन कभी सिक्किम कभी अरुणाचल प्रदेश को विवादित बताता रहा है और अभी गल्वान घाटी और पैंगॉन्ग त्सो झील में विवाद बढ़ा है. पर फ़िलहाल चीन गल्वान घाटी को लेकर ज्यादा चिंतित है और उसकी चिंता भी बेकार नहीं है. दोनों सेना के उच्च अधिकारियो के बीच हुए, बातचीत में दोनों सेना पहले पीछे लौटने को तो तैयार हो गई. पर बाद में चीन ने गल्वान घाटी में भारत द्वारा किये जा रहे Strategic Road का निर्माण काम का विरोध किया और जब तक इसका निर्माण काम बंद न हो जाये तब तक पीछे हटने से मना कर दिया. भारत सरकार ने भी कड़ा निर्णय लेते हुए पुरे LAC (Line of Actual Control) पर Reserve Formation से अतिरिक्त सैनिको को तैनात कर दिया है. एक आंकड़े की माने तो भारत ने LAC पर 2,25,000 सैनिको को तैनात कर दिया है, जिसमे 

भारत और वैदिक धर्म के रक्षक पुष्यमित्र शुंग

विदेशी आक्रांताओं के प्रथम कड़ी में हमने सिकंदर के भारत पर आक्रमण और राजा पुरु के साथ युद्ध के विषय में चर्चा किया था. विदेशी आक्रांताओं की द्वितीय कड़ी में हम ऐसे एक महान राजा के विषय में चर्चा करेंगे, जिसे एक षड़यंत्र कर इतिहास के पन्नों से मिटाने के लिए हर संभव प्रयत्न किया गया. कभी उसे बौद्ध धर्म का कट्टर विरोधी और बौद्ध भिक्षुकों का संहारक कहा गया, कभी उसे कट्टर वैदिक शासन को पुनः स्थापित करने वाला कहा गया. किन्तु वामपंथी इतिहासकारों ने कभी उस महान राजा को उचित का श्रेय दिया ही नहीं. क्योंकि वह एक ब्राम्हण राजा था. यही कारण है कि आज वह राजा, जिसे "भारत का रक्षक" का उपनाम दिया जाना चाहिए था, भारत के इतिहास के पन्नों से विलुप्त कर दिया गया है. हम बात कर रहे है पुष्यमित्र शुंग की, जिन्होंने भारत की रक्षा यवन (Indo Greek) आक्रमण से किया. सिकंदर (Alexander) के आक्रमण के बाद का भारत (मगध साम्राज्य) सिकंदर के भारत पर आक्रमण और राजा पुरु के साथ युद्ध के बाद आचार्य चाणक्य ने नंदवंश के अंतिम राजा धनानंद को राजगद्दी से पद्चुस्त कर चन्द्रगुप्त को मगध का राजा बनाया. यहीं से मगध में मौर्