सुनो पाटलिपुत्रा क्या बोले है बिहार? Skip to main content

सुनो पाटलिपुत्रा क्या बोले है बिहार?

बिहार अपने प्राचीन समय में बहुत समृद्ध हुआ करता था. बिहार से ही भारत के सबसे शक्तिशाली मगध साम्राज्य का उदय हुआ था और काफी समय तक पाटलिपुत्र उसकी राजधानी रहा था. सिक्खों के दसवें गुरु गुरुगोविंद सिंह जी का जन्म भी पाटलिपुत्र में हुआ था.
मोटा मोती बात यह है कि आज का पिछड़ा और शायद सबसे बदनाम राज्य एक समय सबसे ज्यादा समृद्ध हुआ करता था. परंतु कुछ नेताओं के कुछ न करने से और जनता के जाति के नाम पर वोट देने से RJD के शासन काल के दौरान बिहार 15 वर्ष पीछे चला गया. सड़क नहीं, बिजली नहीं, रोजगार नहीं, अपराध अपने चरम पर. इसी वजह से बिहारियों ने अपने राज्य के बाहर जाकर रोजगार ढूँढना शुरू किया. रोजगार तो मिला, परंतु वो इज्जत नहीं मिली. हर बार बेइज्जती का सामना करना पड़ता, कभी कभी मारपीट का भी. 2000 में असम जैसे राज्यों में तो बिहारियोंको जान से मारा जा रहा था. 2008 में बिहारी, शिवसेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के राजनीति का शिकार बने. दिल्ली में मुख्य मंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि "बिहारी 500 रूपये की टिकट पर आता है और 5 लाख का इलाज करवा कर चला जाता है". उसके बाद करोना महामारी के समय जब मजदूरों के पलायन की बात आई तो उसमे भी सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश और बिहार के ही मजदुर थे. बिहार में चुनाव होने वाले हैं. क्या इस बार बिहार की जनता जातिवाद के राजनीति से ऊपर उठ कर बिहार के विकास के लिए वोट करेगी? क्या बिहार की जनता को इस बात का एहसास भी हैं कि उसे कहाँ कहाँ सुधार की जरुरत है? क्या बिहार के लोग कभी आगे आ पाएँगे या हमेशा पिछड़े ही रह जाएँगे? इन्ही कुछ सवालो के जवाबों को ढूँढने की कोशिश करेंगे "सुनो पाटलिपुत्र, क्या बोले है बिहार" में, जहाँ पाटलिपुत्र पटना में बैठे नेता है बिहार साधारण जनता.

बिहारियों का बाहर के राज्यों में पलायन रोकना
बिहारियों का अपने राज्य को छोड़ कर बाहर जाने से रोकना होगा. उसके लिए बिहार में ही रोजगार पैदा करना होगा. अगर बिहार में ही रोजगार पैदा हो जाये, तो बिहार के लोग अपना राज्य छोड़ कर बाहर जाना पसंद नहीं करेंगे. अब यह बड़ा प्रश्न है कि बिहार में रोजगार कहाँ से पैदा करें? रोजगार पैदा होगा बिहार में उद्योगीकरण से, पर्यटन को बढ़ावा देने से, Infrastructure के निर्माण इत्यादि से. परंतु उद्योगीकरण के लिए भी कुछ बुनियादी जरूरते हैं. जैसे पानी, बिजली, मजदुर, माल लाने ले जाने के लिए सड़क, उद्योगपतियों की सुरक्षा इत्यादि. बिहार में पानी की कमी नहीं हैं. मजदुर आपको आसानी से मिल जाएँगे. परंतु बाकि चीजों पर आपको ध्यान देने की जरुरत है. जैसे,

सड़क
बिहार के सड़कों की स्थिति अच्छी नहीं है. हालाँकि 2005 के बाद से सड़कों की स्थिति पहले से बहुत बेहतर हुई है, परंतु यह अन्य राज्यों के मुकाबले में अभी भी काफी पिछड़ा हुआ है. यहाँ की सड़के अपेक्षाकृत काम चौड़ी है, जिस से तुरंत ही जाम लग जाता है. इस से ईंधन और समय की बर्बादी बढ़ जाती है. साथ ही साथ बिहार के सड़क पुलों की हालत भी बहुत ही खस्ता है. उत्तरी बिहार को शेष बिहार से जोड़ने वाले सड़क पुल महात्मा गाँधी सेतु की खस्ता हालत की वजह से 2014 में बिहार उच्च न्यायलय ने बिहार सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा कि "आज अगर भारत और चीन के बीच युद्ध छिड़ गया तो सेना गंगा नदी कैसे पार करेगी"? उसके बाद भी बिहार सरकार ने महात्मा गाँधी सेतु के मरम्मत में समय लगाया, बल्कि उसके समानांतर में पुल बनाने की मंजूरी भी 2019 में मिला. बिहार को सड़क पर ध्यान देने की जरुरत है.

बिजली
कुछ वर्ष पहले तक बिहार के कई इलाको में बिजली थी ही नहीं. तब तक वहाँ लालू यादव की पार्टी राष्ट्रिय जनता दल के चिन्ह लालटेन से काम चलाया जाता था. जहाँ बिजली थी भी, वहाँ बिजली रहती नहीं थी. ग्रामीण इलाको में बिजली महज 6 से 8 घंटे तक रहती थी. शहरी इलाको में बिजली 10 से 12 घंटे ही रहती थी. मतलब स्थिति यहाँ भी दयनीय थी. परंतु अब स्थिति पहले से सुधरी है. अब ग्रामीण इलाको में 16 से 18 घंटो तक बिजली रहती है, जबकि शहरी इलाको में 22 से 24 घंटो तक बिजली रहती है. परंतु उद्योग लगाने के लिए बिजली की आपूर्ति पर ध्यान देना पड़ेगा. बिजली के बिना कारखाने नहीं चलेंगे.

जान माल की सुरक्षा
बिहार की सरकार और प्रशासन के लिए यह अभी भी एक सरदर्द बना हुआ है. बिहार में कभी जंगलराज हुआ करता था, तब लोग अँधेरा होने के बाद घर से नहीं निकलते थे. उस समय से हालत थोड़े बदले तो जरूर हैं, पर स्थिति में ज्यादा कुछ सुधर नहीं हुआ है. कही कही तो हालत और खराब हुए है. बिहारी पुलिस ही आधिकारिक वेबसाइट पर जो आंकड़े उपलब्ध है, उसके अनुसार 2005 में 1,04,778 अपराध के मामले दर्ज किये गए थे, जिसमें हत्या के 3,423 मामले, दंगो के दर्ज मामले 7,704, अपहरण के 2,226 और फिरौती के लिए अपहरण के 251 मामले और बलात्कार के 973 मामले दर्ज थे. 2019 के आंकड़े देखे तो 2,69,096 मामले दर्ज किये गए थे. जिसमें हत्या के 3,138 मामले, दंगो के दर्ज मामले 7,262, अपहरण के 10,925, फिरौती के लिए अपहरण के 43 मामले और बलात्कार के 1,450 मामले दर्ज हुए थे. मई 2020 में अपराध के 99,558 मामले दर्ज किये गए है. जिसमें हत्या के 312 मामले, दंगो के दर्ज मामले 1,293, अपहरण के 315, फिरौती के लिए अपहरण के 2 मामले और बलात्कार के 120 मामले दर्ज हुए हैं. जबकि मार्च 2020 से कोरोना महामारी की वजह से लोकडाउन लगा हुआ है. जब आपके राज्य में इस हद पर अपराध रहेगा तो कोई क्यों यहाँ पर अपने पैसे लगाएगा? कोई क्यों अपनी जान को खतरे में डालने बिहार में आएगा? अगर अपराध और अपराधियों को नियंत्रण में ला दिया जाये तो बिहार की काफी समस्याएं हल हो जाएगी.

पर्यटन
अपराधिक गतिविधियों के कम होने का सीधा असर पर्यटन पर पड़ेगा. बिहार के लिए एक अच्छी बात यह है कि बिहार में विदेशी पर्यटक काफी मात्रा में आते है. वहीं बिहार घरेलु पर्यटकों को अपने तरफ खींचने में उस हद तक कामयाब नहीं हो पाता. बिहार राज्य के पर्यटन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि 2019 में बिहार में सबसे ज्यादा 3.5 करोड़ पर्यटक आए, जिसमें करीब 5 लाख विदेशी थे. महाराष्ट्र में आने वाले विदेशी पर्यटकों कि संख्या 50 लाख से ज्यादा है. वहीं तमिलनाडु में आने वाले घरेलु पर्यटकों की संख्या 34 करोड़ से भी ज्यादा है. दोनों राज्यों में आने वाले पर्यटकों की संख्या में फर्क अपने आप में बहुत कुछ कहता है. अगर बिहार में अपराध कम हो जाये और बिहार सरकार पर्यटन पर ध्यान दे, तो निश्चित रूप से बिहार में आने वालो पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी. पर्यटकों के आने से रोजगार भी पैदा होंगे और बिहार सरकार के राजस्व में भी बढ़ोतरी होगा.

कृषि
बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है. यहाँ के लोग मुख्यतः खेती पर निर्भर करते है. यहाँ की मिटटी भी बहुत उपजाऊ है. परंतु यहाँ का मौसम बहुत ही ज्यादा अनिश्चित है. कभी कभी यहाँ बहुत बारिस होता है, तो कभी यहाँ बारिस होता ही नहीं है. परंतु नेपाल से इसकी सीमा लगने के कारण नेपाल से बाढ़ का पानी बिहार में आ जाता है. इसका कारण है नदियों का हिमालय से निकल कर बिहार में आना. अब अगर प्रति वर्ष बाढ़ का पानी बिहार के खेतों में लग जायेगा, तो यहाँ के किसान खेती करेंगे कैसे? इसका कोई और उपाय तो नहीं है, परंतु अगर भारत देश की सभी नदियों को नहरों के द्वारा एक दूसरे से जोड़ दिया जाए, तो न सिर्फ बिहार बल्कि पुरे देश से बाढ़ और सूखे की समस्या का समाधान हो जायेगा. क्योकि मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में सूखे की समस्या रहती है. इसके लिए भी बिहार सरकार को केंद्र सरकार से बात करना चाहिए. केंद्र में अभी भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. उन्हें यह याद दिलाये कि अटल जी भारत की नदियों को आपस में जोड़ना चाहते थे. यहाँ तक की जब नरेंद्र मोदी 2014 में प्रधानमंत्री बनाने के बाद कलाम साहब को फ़ोन किये थे, तब कलाम साहब ने भी यही बात कहा था. बाढ़ की समस्या खत्म होते ही बिहार के किसान फिर से अपनी खेती करने लगेंगे.

नए उद्योगों को बिहार में लाने से पहले राज्य सरकार को उन चीनी मिलों पर भी ध्यान देना चाहिए जो बंद पड़े है. बिहार में लगभग 64% चीनी मिलों में ताला लटक रहा है. बिहार में जारी जंगलराज के समय बंद हुए इन चीनी मिलों को अगर सुशासन बाबू चालू करवा पाते, तो यह बिहार में नए रोजगार पैदा करने में मदगार सिद्ध होता और उससे बिहार में नए उद्योग को लगाने में मदद मिलता. इसके अलावा बिहार में अच्छे शैक्षणिक संस्थान, अस्पतालों का भी अकाल पड़ा हुआ है. बिहार में साक्षरता पुरे भारत में सबसे खराब है. इसके बावजूद भी बिहार से आईएएस आईपीएस जैसे प्रतियोगी परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले विधार्थियों को संख्या काफी अच्छी है. सरकार को इन सभी बातो पर ध्यान देकर शिक्षा के स्तर पर भी ध्यान देना चाहिए. बिहार के परीक्षा में होने वाले धांधली को हम पहले ही समाचारो में देख चुके है. बिहार को अपनी उस छवि को सुधारने के लिए काफी मेहनत करने की जरुरत है.
उम्मीद करते है की इस बार के चुनाव में बिहार की जनता को जाति धर्म से ऊपर उठ कर इन सभी मुद्दों पर अपने मताधिकार का प्रयोग करना चाहिए. वरना नेता अपना, अपने बच्चों और अपने रिश्तेदारों का भविष्य बनाते रहेंगे और अपनी कुर्सी बचने के लिए मेहनत करते रहेंगे. वहीं बिहार की जनता दो वक्त की रोटी जुटाने और खुद की इज्जत कमाने के लिए मेहनत करती रहेगी.

जय हिन्द
वंदेमातरम


Comments

Popular posts from this blog

राजा पुरु और सिकंदर का युद्ध

भारत प्राचीन काल से ही अति समृद्ध देश रहा है. इसके साक्ष्य इतिहास में मिलते है. इसी वजह से भारत को सोने की चिड़ियाँ कहा जाता था. यह भारत की समृद्धि ही थी, जिसके वजह से विदेशी हमेशा से ही भारत की तरफ आकर्षित हुए है और भारत पर आक्रमण कर भारत को विजयी करने की कोशिश करते आए है. भारत पर आक्रमण करने वालों में सिकंदर (Alexander), हूण, तुर्क, मंगोल, मुगल, डच, पुर्तगाली, फ्रांसिसी और ब्रिटिश प्रमुख है. आज से हम भारत पर हुए सभी विदेशी आक्रमणों की चर्चा करेंगे. साथ ही साथ हम ऐसे महान राजा, महाराजा और वीरांगनाओं पर भी चर्चा करेंगे, जिन्होंने इन विदेशी आक्रांताओ के विरुद्ध या तो बहादुरी से युद्ध किया या फिर उन्हें पराजित कर वापस लौटने पर मजबूर कर दिया. यह केवल एक इसी लेख में लिख पाना संभव नहीं है. वजह से इसके मैं कई भागों में लिखूँगा. इस कड़ी के पहले भाग में हम बात करेंगे सिकंदर की, जिसे यूरोपीय और कुछ हमारे इतिहासकार महान की उपाधि देते है. हम इस बात पर भी चर्चा करेंगे कि क्या सिकंदर वास्तव में इतना महान था या फिर यूरोपीय इतिहासकारों ने सिकंदर के बारे में कुछ ज्यादा ही बढ़ा चढ़ा कर लिखा है? इसमें हम बह

भारत और वैदिक धर्म के रक्षक पुष्यमित्र शुंग

विदेशी आक्रांताओं के प्रथम कड़ी में हमने सिकंदर के भारत पर आक्रमण और राजा पुरु के साथ युद्ध के विषय में चर्चा किया था. विदेशी आक्रांताओं की द्वितीय कड़ी में हम ऐसे एक महान राजा के विषय में चर्चा करेंगे, जिसे एक षड़यंत्र कर इतिहास के पन्नों से मिटाने के लिए हर संभव प्रयत्न किया गया. कभी उसे बौद्ध धर्म का कट्टर विरोधी और बौद्ध भिक्षुकों का संहारक कहा गया, कभी उसे कट्टर वैदिक शासन को पुनः स्थापित करने वाला कहा गया. किन्तु वामपंथी इतिहासकारों ने कभी उस महान राजा को उचित का श्रेय दिया ही नहीं. क्योंकि वह एक ब्राम्हण राजा था. यही कारण है कि आज वह राजा, जिसे "भारत का रक्षक" का उपनाम दिया जाना चाहिए था, भारत के इतिहास के पन्नों से विलुप्त कर दिया गया है. हम बात कर रहे है पुष्यमित्र शुंग की, जिन्होंने भारत की रक्षा यवन (Indo Greek) आक्रमण से किया. सिकंदर (Alexander) के आक्रमण के बाद का भारत (मगध साम्राज्य) सिकंदर के भारत पर आक्रमण और राजा पुरु के साथ युद्ध के बाद आचार्य चाणक्य ने नंदवंश के अंतिम राजा धनानंद को राजगद्दी से पद्चुस्त कर चन्द्रगुप्त को मगध का राजा बनाया. यहीं से मगध में मौर्

1946: नओखलि नरसंहार

पिछले लेख में हमने डायरेक्ट एक्शन डे के बारे में देखा. डायरेक्ट एक्शन डे के दिन हुए नरसंहार की आग पुरे देश में फैल चुकी थी. सभी जगह से दंगों की और मारे काटे जाने की खबरें आ रही थी. इस डायरेक्ट एक्शन डे का परिणाम सामने चल कर बंगाल के नओखलि (आज बांग्लादेश में ) में देखने को मिला. यहाँ डायरेक्ट एक्शन डे के बाद से ही तनाव अत्याधिक बढ़ चूका था. 29 अगस्त, ईद-उल-फितर के दिन तनाव हिंसा में बदल गया. एक अफवाह फैल गई कि हिंदुओं ने हथियार जमा कर लिए हैं और वो आक्रमण करने वाले है. इसके बाद फेनी नदी में मछली पकड़ने गए हिंदू मछुआरों पर मुसलमानों ने घातक हथियारों से हमला कर दिया, जिसमें से एक की मौत हो गई और दो गंभीर रूप से घायल हो गए. चारुरिया के नौ हिंदू मछुआरों के एक दूसरे समूह पर घातक हथियारों से हमला किया गया. उनमें से सात को अस्पताल में भर्ती कराया गया. रामगंज थाने के अंतर्गत आने वाले बाबूपुर गाँव के एक कांग्रेसी के पुत्र देवी प्रसन्न गुहा की हत्या कर दी गई और उनके भाई और नौकर को बड़ी निर्दयता से मारा. उनके घर के सामने के कांग्रेस कार्यालय में आग लगा दिया. जमालपुर के पास मोनपुरा के चंद्र कुमार कर

1962: रेजांग ला का युद्ध

  1962 रेजांग ला का युद्ध भारतीय सेना के 13वी कुमाऊँ रेजिमेंट के चार्ली कंपनी के शौर्य, वीरता और बलिदान की गाथा है. एक मेजर शैतान सिंह भाटी और उनके साथ 120 जवान, 3000 (कही कही 5000 से 6000 भी बताया है. चीन कभी भी सही आंकड़े नहीं बताता) से ज्यादा चीनियों से सामने लड़े और ऐसे लड़े कि ना सिर्फ चीनियों को रोके रखा, बल्कि रेज़ांग ला में चीनियों को हरा कर वापस लौटने पर मजबूर कर दिया और इसके बाद चीन ने एक तरफ़ा युद्धविराम की घोषणा कर दिया.

कश्मीर की चुड़ैल और लंगड़ी रानी "दिद्दा"

भारत वर्ष का इतिहास विश्व के प्राचीनतम इतिहासों में से एक है. कल तक जो भारत के इतिहास को केवल 3000 वर्ष प्राचीन ही मानते थे, वो हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की संस्कृति के अवशेष मिलने के बाद अब इसे प्राचीनतम मानाने लगे है. पुरातत्व विभाग को अब उत्तर प्रदेश के सिनौली में मिले नए अवशेषों से यह सिद्ध होता है कि मोहनजोदड़ो के समान्तर में एक और सभ्यता भी उस समय अस्तित्व में था. यह सभ्यता योद्धाओं का था क्योंकि अवशेषों में ऐसे अवशेष मिले है, जो योद्धाओं के द्वारा ही उपयोग किया जाता था, जैसे तलवार रथ. इस खोज की एक विशेषता यह भी है कि यहाँ पर ऐसे भी अवशेष मिले है, जो नारी योद्धाओं के है. इस से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस संस्कृति में नारी योद्धा भी रही होंगी. भारतीय संस्कृति और इतिहास में नारियों का विशेष स्थान रहा है. परन्तु हम आज झाँसी की रानी, रानी दुर्गावती और रानी अवन्तिबाई तक ही सिमित रह गए है. इनके अलावा और भी कई और महान योद्धा स्त्रियाँ हुई है भारत के इतिहास में. जैसे रानी अब्बक्का चौटा और कश्मीर की चुड़ैल रानी और लंगड़ी रानी के नाम से विख्यात रानी दिद्दा. आज हम कश्मीर की रानी दिद्दा के बारे म