गल्वान घाटी गतिरोध: भारतीय चीनी सेना के बीच झड़प Skip to main content

गल्वान घाटी गतिरोध: भारतीय चीनी सेना के बीच झड़प

गल्वान घाटी से एक अत्यंत दुःखद खबर आ रही है. Line Of Actual Control (LAC) पर तनाव के बीच ये तय हो गया था कि 15 जून को सरहद पर चीन सेना का जमावड़ा कम होगा. चीन की सेना गल्वान क्षेत्र में अपने इलाके में वापस लौटेगी. दोनों पक्षों के बीच पहले से सहमति थी कि 16 जून को भारतीय सेना के बड़े अधिकारियों की बैठक से पहले चीन की सेना पीछे हटेगी.
लेकिन इस सहमति के बावजूद जब चीन की सेना में कोई हरकत नहीं दिखी, तो 16 बिहार रेजिमेंट के कर्नल संतोष बाबू
के नेतृत्व में भारतीय सेना का छोटा दल चीनी पक्ष के साथ बातचीत के लिए गया. चर्चा के दौरान चीनी सेना पीछे हटने के मूड में नहीं दिखी. वो जानबूझकर टाल मटोल करते रहे.
इसके बाद चीन की सेना ने भारतीय जवानों को घेर लिया और लाठी, पत्थरों और कांटेदार तार से हमला करने लगे. इस भिड़ंत के दौरान एक भारतीय जवान की तुलना में मौके पर चीन के 3 जवान थे, लेकिन इसके बावजूद भारतीय सैनिकों ने अचानक किए गए इस हमले का ना सिर्फ डटकर मुकाबला किया बल्कि मुंहतोड़ जवाब दिया.
जिसमें अब तक 20 भारतीय सेना के  बहादुर जवानो के वीरगति को प्राप्त हुए और 43 से ज्यादा चीनी सैनिक मारे गए|पर यहाँ एक भी गोली नहीं चली है. दरअसल, भारत और चीन के बीच हुए समझौते में बातें मुख्य थी जिसमे,
1) लद्दाख में दोनों तरफ से कोई भी निर्माण कार्य नहीं करेगा
2) पेट्रोलिंग करते समय कोई भी हथियार लेकर पेट्रोलिंग नहीं करेगा, जिस से कोई झड़प न हो
पर सोमवार की रात को ये झड़प बहुत हिंसक हो गई, जिसमें चीनी सैनिको ने रात के अँधेरे में कंटीले तार लगे डंडे से, लोहे के रॉड से हमला कर दिया था. भारतीय सेना के जवानो ने भी उसका मुँह तोड़ जवाब दिया. क्योकि अब सेना को देश की सीमा पर जवाबी कार्यवाही करने की खुली छूट है. अब अगर किसी के मन में ये सवाल आए या कोई सवाल पूछे कि समाचार का की प्रमाणिकता क्या है? तो ये बात हमेशा याद रखे कि "वीरों की वीरता के ही किस्से सुनाये जाते हैं और वीर ही पूजे जाते है. कायरों की कायरता के ना किस्से सुनाये जाते है ना ही उन्हें पूजा जाता है." भारत हमेशा अपने वीर जवानो के वीरगति की बात को स्वीकारा है और उनके पार्थिव शरीर के अंतिम क्रिया के लिए उनके गांव भेजने की कोशिश करता है. पर चीनी कुत्ते हो या पकिस्तानी सूअर ये कभी खुल कर नहीं बोलते. पाकिस्तान अपने सैनिको के शव को लेने से मना कर देता है और चीन बताता ही नहीं है कि क्या हुआ? फिर चाहे 1962 में कुमाऊँ रेजिमेंट के साथ रेजांग ला में हुआ युद्ध हो, या गढवाल राइफल्स के जसवंत सिंह के साथ अरुणाचल प्रदेश में हुआ युद्ध हो या फिर अभी हाल फ़िलहाल कोरोना की ही घटना हो, चीन कभी भी कोई खबर बहार नहीं जाने देना. चीन मे लोकतंत्र नहीं है, इसी वजह से चीन की सरकार जो कहती है चीन के अख़बार वही छापते है. मतलब सीधा है कि चीन पर भरोषा नहीं किया जा सकता.
भारतीय सेना में पीछे हटाना सिखाया ही नहीं जाता है. इसी वजह से भारतीय सेना तो हिमालय सा खड़ी ही है सामने, पर इस बार सेना को भी सरकार का समर्थन मिल रहा है. लद्दाख में खुद निर्माण कार्य करने के बाद, भारत देश को समझौते की शर्त को याद दिलाने वाले चीन को, भारत ने साफ़ और कड़े शब्दों में कह दिया है कि "जब तब भारत चीन के बराबर निर्माण कार्य नहीं कर लेता भारत अपना निर्माण कार्य नहीं रोकेगा." इसका सबूत यह है कि BRO ने दूसरे राज्यों से और मजदूरों को मंगवा कर निर्माण कार्य को तेज कर दिया है.

चीन फ़िलहाल किसी भी कीमत पर भारत से युद्ध करना नहीं चाहेगा. पर पकिस्तान, नेपाल और भारत के कुछ प्रोपेगंडा करने वाले बुद्धिजीवीओ और पत्रकारों के द्वारा अपना डर कायम करने की कोशिश जरूर करेगा और कर रहा है. इसी वजह से आप सरकार से नफरत करना कर कीजिये पर सेना पर भरोषा रखिये.
भारत के 20 सिंहो की वीरता को प्रणाम और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्राथना करता हु.

जय हिन्द
वन्दे मातरम

Comments

Popular posts from this blog

गल्वान घाटी गतिरोध : भारत-चीन विवाद

  भारत और चीन के बीच में बहुत गहरे व्यापारिक रिश्ते होने के बावजूद भी इन दोनो देशों के बीच टकराव होते रहे है. 1962 और 1967 में हम चीन के साथ युद्ध भी कर चुके है. भारत चीन के साथ 3400 KM लम्बे सीमा को साँझा करता है. चीन कभी सिक्किम कभी अरुणाचल प्रदेश को विवादित बताता रहा है और अभी गल्वान घाटी और पैंगॉन्ग त्सो झील में विवाद बढ़ा है. पर फ़िलहाल चीन गल्वान घाटी को लेकर ज्यादा चिंतित है और उसकी चिंता भी बेकार नहीं है. दोनों सेना के उच्च अधिकारियो के बीच हुए, बातचीत में दोनों सेना पहले पीछे लौटने को तो तैयार हो गई. पर बाद में चीन ने गल्वान घाटी में भारत द्वारा किये जा रहे Strategic Road का निर्माण काम का विरोध किया और जब तक इसका निर्माण काम बंद न हो जाये तब तक पीछे हटने से मना कर दिया. भारत सरकार ने भी कड़ा निर्णय लेते हुए पुरे LAC (Line of Actual Control) पर Reserve Formation से अतिरिक्त सैनिको को तैनात कर दिया है. एक आंकड़े की माने तो भारत ने LAC पर 2,25,000 सैनिको को तैनात कर दिया है, जिसमे 

कविता: भारत देश

भारत में अक्सर बहस होता रहता है कि एक धर्म विशेष पर बहुत जुल्म हो रहे है. उन्हें परेशान किया जा रहा है. परंतु सच यह है कि वह धर्म विशेष भारत देश में जितने आराम से और स्वतंत्रता से रह रहे हैं, उतनी स्वतंत्रता से वह कहीं और नहीं रह सकते. यह वही भारत देश है, जहाँ वोट बैंक की राजनीती के लिए लोगों को उनके जाति और धर्म के नाम पर बाँटा जाता है. जहाँ का युवा "इस देश का कुछ नहीं हो सकता" कह कर हर बात को टाल देता है. जहाँ देश भक्ति सिर्फ क्रिकेट मैच या आतंकवादी हमले पर ही जागती है. जहाँ जुर्म होते देख गाँधी की अहिंसा याद आती है. इन्ही सभी बातों को ध्यान में रख कर कुछ दिन पहले मैंने एक कविता लिखा था, जिसे आप सब के सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ, जिसका शीर्षक है, "भारत देश" भारत देश एक तरफ देश की सीमा पर, सिपाही अपना खून बहता है. वहीं कड़ी सुरक्षा में रहने वाला, खुद को असुरक्षित पाता है. जहाँ कायर शराफत की चादर ओढ़े है, और अपराधी देश को चलता है. जहाँ अपनी गलती कोई नहीं मानता, पर दूसरों को दोषी ठहराता है. वही ए मेरे प्यारे दोस्त, भारत देश कहलाता है. जहाँ इंसान को इंसानियत से नहीं, भाषा...

कविता: नारी शक्ति

नारी को सनातन धर्म में पूजनीय बताया गया है और देवी का स्थान दिया गया है. तभी कहा गया है कि " यत्र नारी पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता." अर्थात जहाँ नारी की पूजा होती है, देवताओं का वहीं वास होता है. यहाँ पूजा का मतलब है सम्मान. परंतु यह समाज धीरे धीरे पुरुष प्रधान बनता गया. नारी और उनके अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता गया. हालाँकि स्थिति पहले से कुछ हद तक सुधरी जरूर है. परंतु यह प्रत्येक जगह नहीं. आज भी कही कही स्थिति दयनीय है. इसे बदलने की जरुरत है. नारी शक्ति पर मैंने यह कविता लिखा है, जिसका शीर्षक ही है नारी शक्ति.  नारी शक्ति नारी तू कमजोर नहीं, जीवन का आधार है. तुझ बिन जीवन तो, क्या असंभव पूरा संसार है. तू माँ है बहन है बेटी है, तू शिव में शक्ति का इकार है. तुझ बिन शिव शव है, ये मनुष्य तो निराधार है. तू काली है तू दुर्गा है, तू शक्ति का श्रोत है. तू भवानी जगदम्बा है, तू ही जीवन ज्योत है. क्षमा में तू गंगा है, ममता में तू धरती है. तू युद्ध में रणचंडी है, जीवनदायनी प्रकृति है. जय हिन्द वंदेमातरम

भारत चीन विवाद के कारण

भारत और चीन के बीच का तनाव बढ़ते ही जा रहा है. 5 मई को धक्के मुक्की से शुरू हुआ यह सिलसिला 15 जून को खुनी झड़प तक पहुँच गया. चीन ने कायरता से भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया, जिसमें हमारे 20 वीर सिपाही वीरगति को प्राप्त हुए. उसके बाद जब भारतीय सैनिकों ने कार्यवाही किया तो उसमें चीन के कम से कम 40 से ज्यादा सैनिक मारे गए. हालाँकि चीन ने कभी इस बात को स्वीकार नहीं किया. उसके बाद अब स्थिति यहाँ तक पहुँच चुका है कि सीमा पर गोलीबारी भी शुरू हो चुका है. यह गोलीबारी 45 वर्षों के बाद हुआ है. आज हम यहाँ यह समझने की कोशिश करेंगे कि चीन आखिर बॉर्डर पर ऐसे अटका हुआ क्यों है? चीन भारत से चाहता क्या है? चीन के डर की वजह क्या है? भारत के साथ चीन का सीमा विवाद पुराना है, फिर यह अभी इतना आक्रामक क्यों हो गया है? इन सभी के पीछे कई कारण है. जिसमें से कुछ मुख्य कारण है और आज हम उसी पर चर्चा करेंगे. चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) One Road, One Belt. जिसमें पिले रंग से चिंहित मार्ग चीन का वर्तमान समुद्री मार्ग है . चीन का यह महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट 62 बिलियन डॉलर की लागत से बन रहा है. यह प्रोजेक्ट चीन के...

एक जैन वीरांगना: रानी अब्बक्का चौटा

भारतीय तटरक्षक बल ने 2012 में अपने खेमे में एक गश्ती पोत को शामिल किया. भारत में निर्मित इस पोत का निर्माण हिंदुस्तान शिप यार्ड में विशाखापटनम में हुआ था. 50 मीटर  लंबे इस गश्ती पोत में 5 अधिकारियों के साथ 34 नाविक इसमें रह सकते है. इसमें 1x 30mm CRN Naval Gun और 2x12.7mm HMG (High Machine Gan)  लगा हुआ है. इस गश्ती पोत का नाम है रानी अब्बक्का Class Patrol Vessel. अब मन में यह सवाल आया होगा कि कौन है ये रानी अब्बक्का, जिनके नाम पर इस गश्ती पोत का नाम रखा गया है? आइए  देखते है.