कविता: देशभक्तों के नाम संदेश Skip to main content

कविता: देशभक्तों के नाम संदेश

भारत देश में आज की परिस्थिति ऐसी है कि कुछ बुद्धिजीवी, सेक्युलर और पता नहीं क्या क्या, किसी कुकुरमुत्ते की तरह हर जगह निकल रहे है. कल तक जो एक पार्टी विशेष के सत्ता में होने पर किसी शुतुरमुर्ग की तरह जमीं में सर घुसाए बैठे थे, वो आज सभी अपने अपने सर बहार निकाल कर लोकतंत्र की दुहाई देकर जहर ही उगल रहे है. सत्ता पक्ष का विरोध करने के लिए यह लोग देश विरोध करने तक उतारू हो चुके है और कर रहे है. इसके पीछे इनका उद्देश्य चाहे जो हो, परंतु यह बहुत खतरनाक है. खतरनाक इस वजह से नहीं है क्योंकि वे विरोध कर रहे है. खतरनाक इस वजह से क्योंकि किसी राजनैतिक दल का विरोध करने के चक्कर वे सभी देश विरोध करने लगे है और उसके लिए तथ्यों को या तो तोड़ मरोड़ कर रख रहे है. या फिर आधे अधूरे तथ्य इस तरह से रख रहे है. जिससे कुछ न होते हुए भी मन में शंका उत्पन्न हो जाए. इसमें नेता से लेकर, बॉलीवुड से जुड़े लोग, गायक, लेखक, झूठे इतिहासकार, खुद को सच्चा पत्रकार कहने वाले और धर्म के जुड़े लोग शामिल है. वो गद्दार है और रहेंगे. उनसे मुझे कुछ लेना देना नहीं है. मैंने यह कविता देशभक्तों के लिए लिखा है. उनसे मुझे जो कहना है, मैंने इस कविता में कहा है. इसे पढ़े अगर पसंद आए तो Like, Comment, Share और The Puratchi Blog Subscribe करें.
कविता का शीर्षक है,

देशभक्तों के नाम संदेश

वो टुकड़े टुकड़े में तोड़ेंगे,
वो हर एक सच को मोड़ेंगे.
वो दिन कभी नहीं आएगा,
जब वो गद्दारी को छोड़ोगे.
भारत माँ है तो लाचार है,
पर तुम भी उसके बेटे हो.
अगर आस्तीन के सांप है वो, 
फिर तुम क्यों चुप बैठे हो?
क्यों उखाड़ फेकते तुम नहीं,
जड़ से इस गद्दारी के पौधे को?
क्यों मिटा देते हो तुम नहीं,
जो उजाड़े है इस घरोंधे को?

या रौंध दो या चुप हो जाओ,
देश के दुश्मन इन शैतानो को?
या जन्म लेना पड़ेगा फिर से,
देश पर मर मिटे हुए जवानो को?

अर्जुन था कर्तव्यविमूढ़ हुआ,
धर्म क्षेत्र कुरुक्षेत्र के मैदान में.
याद करो क्या कहा था कृष्ण ने,
तब अपने गीता के ज्ञान में.
है क्षमा का मूल्य तभी तक,
जब कोई भूल करे अज्ञान में.
पर उसे मिटाना धर्म ही है,
जो भूल करे अभिमान में.
धमनी का लहू पानी हुआ,
या कमी आ गई बलिदान मे?
या कायर पैदा होने लगे है,
अब वीरो के भी संतान में?

वरना क्यों चुप हो तुम बोलो,
भारत देश के अपमान में?
क्या जरूरत है गद्दारो का,
इस भारत देश महान में?
जय हिंद
वंदेमातरम


#Deshbhaktkosandesh #Gaddar #Secular #Intellectual #FakeHistorian #FakeJournalist #Propaganda #Agenda

Comments

Popular posts from this blog

राजा पुरु और सिकंदर का युद्ध

भारत प्राचीन काल से ही अति समृद्ध देश रहा है. इसके साक्ष्य इतिहास में मिलते है. इसी वजह से भारत को सोने की चिड़ियाँ कहा जाता था. यह भारत की समृद्धि ही थी, जिसके वजह से विदेशी हमेशा से ही भारत की तरफ आकर्षित हुए है और भारत पर आक्रमण कर भारत को विजयी करने की कोशिश करते आए है. भारत पर आक्रमण करने वालों में सिकंदर (Alexander), हूण, तुर्क, मंगोल, मुगल, डच, पुर्तगाली, फ्रांसिसी और ब्रिटिश प्रमुख है. आज से हम भारत पर हुए सभी विदेशी आक्रमणों की चर्चा करेंगे. साथ ही साथ हम ऐसे महान राजा, महाराजा और वीरांगनाओं पर भी चर्चा करेंगे, जिन्होंने इन विदेशी आक्रांताओ के विरुद्ध या तो बहादुरी से युद्ध किया या फिर उन्हें पराजित कर वापस लौटने पर मजबूर कर दिया. यह केवल एक इसी लेख में लिख पाना संभव नहीं है. वजह से इसके मैं कई भागों में लिखूँगा. इस कड़ी के पहले भाग में हम बात करेंगे सिकंदर की, जिसे यूरोपीय और कुछ हमारे इतिहासकार महान की उपाधि देते है. हम इस बात पर भी चर्चा करेंगे कि क्या सिकंदर वास्तव में इतना महान था या फिर यूरोपीय इतिहासकारों ने सिकंदर के बारे में कुछ ज्यादा ही बढ़ा चढ़ा कर लिखा है? इसमें हम बह

भारत और वैदिक धर्म के रक्षक पुष्यमित्र शुंग

विदेशी आक्रांताओं के प्रथम कड़ी में हमने सिकंदर के भारत पर आक्रमण और राजा पुरु के साथ युद्ध के विषय में चर्चा किया था. विदेशी आक्रांताओं की द्वितीय कड़ी में हम ऐसे एक महान राजा के विषय में चर्चा करेंगे, जिसे एक षड़यंत्र कर इतिहास के पन्नों से मिटाने के लिए हर संभव प्रयत्न किया गया. कभी उसे बौद्ध धर्म का कट्टर विरोधी और बौद्ध भिक्षुकों का संहारक कहा गया, कभी उसे कट्टर वैदिक शासन को पुनः स्थापित करने वाला कहा गया. किन्तु वामपंथी इतिहासकारों ने कभी उस महान राजा को उचित का श्रेय दिया ही नहीं. क्योंकि वह एक ब्राम्हण राजा था. यही कारण है कि आज वह राजा, जिसे "भारत का रक्षक" का उपनाम दिया जाना चाहिए था, भारत के इतिहास के पन्नों से विलुप्त कर दिया गया है. हम बात कर रहे है पुष्यमित्र शुंग की, जिन्होंने भारत की रक्षा यवन (Indo Greek) आक्रमण से किया. सिकंदर (Alexander) के आक्रमण के बाद का भारत (मगध साम्राज्य) सिकंदर के भारत पर आक्रमण और राजा पुरु के साथ युद्ध के बाद आचार्य चाणक्य ने नंदवंश के अंतिम राजा धनानंद को राजगद्दी से पद्चुस्त कर चन्द्रगुप्त को मगध का राजा बनाया. यहीं से मगध में मौर्

1946: नओखलि नरसंहार

पिछले लेख में हमने डायरेक्ट एक्शन डे के बारे में देखा. डायरेक्ट एक्शन डे के दिन हुए नरसंहार की आग पुरे देश में फैल चुकी थी. सभी जगह से दंगों की और मारे काटे जाने की खबरें आ रही थी. इस डायरेक्ट एक्शन डे का परिणाम सामने चल कर बंगाल के नओखलि (आज बांग्लादेश में ) में देखने को मिला. यहाँ डायरेक्ट एक्शन डे के बाद से ही तनाव अत्याधिक बढ़ चूका था. 29 अगस्त, ईद-उल-फितर के दिन तनाव हिंसा में बदल गया. एक अफवाह फैल गई कि हिंदुओं ने हथियार जमा कर लिए हैं और वो आक्रमण करने वाले है. इसके बाद फेनी नदी में मछली पकड़ने गए हिंदू मछुआरों पर मुसलमानों ने घातक हथियारों से हमला कर दिया, जिसमें से एक की मौत हो गई और दो गंभीर रूप से घायल हो गए. चारुरिया के नौ हिंदू मछुआरों के एक दूसरे समूह पर घातक हथियारों से हमला किया गया. उनमें से सात को अस्पताल में भर्ती कराया गया. रामगंज थाने के अंतर्गत आने वाले बाबूपुर गाँव के एक कांग्रेसी के पुत्र देवी प्रसन्न गुहा की हत्या कर दी गई और उनके भाई और नौकर को बड़ी निर्दयता से मारा. उनके घर के सामने के कांग्रेस कार्यालय में आग लगा दिया. जमालपुर के पास मोनपुरा के चंद्र कुमार कर

1962: रेजांग ला का युद्ध

  1962 रेजांग ला का युद्ध भारतीय सेना के 13वी कुमाऊँ रेजिमेंट के चार्ली कंपनी के शौर्य, वीरता और बलिदान की गाथा है. एक मेजर शैतान सिंह भाटी और उनके साथ 120 जवान, 3000 (कही कही 5000 से 6000 भी बताया है. चीन कभी भी सही आंकड़े नहीं बताता) से ज्यादा चीनियों से सामने लड़े और ऐसे लड़े कि ना सिर्फ चीनियों को रोके रखा, बल्कि रेज़ांग ला में चीनियों को हरा कर वापस लौटने पर मजबूर कर दिया और इसके बाद चीन ने एक तरफ़ा युद्धविराम की घोषणा कर दिया.

कश्मीर की चुड़ैल और लंगड़ी रानी "दिद्दा"

भारत वर्ष का इतिहास विश्व के प्राचीनतम इतिहासों में से एक है. कल तक जो भारत के इतिहास को केवल 3000 वर्ष प्राचीन ही मानते थे, वो हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की संस्कृति के अवशेष मिलने के बाद अब इसे प्राचीनतम मानाने लगे है. पुरातत्व विभाग को अब उत्तर प्रदेश के सिनौली में मिले नए अवशेषों से यह सिद्ध होता है कि मोहनजोदड़ो के समान्तर में एक और सभ्यता भी उस समय अस्तित्व में था. यह सभ्यता योद्धाओं का था क्योंकि अवशेषों में ऐसे अवशेष मिले है, जो योद्धाओं के द्वारा ही उपयोग किया जाता था, जैसे तलवार रथ. इस खोज की एक विशेषता यह भी है कि यहाँ पर ऐसे भी अवशेष मिले है, जो नारी योद्धाओं के है. इस से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस संस्कृति में नारी योद्धा भी रही होंगी. भारतीय संस्कृति और इतिहास में नारियों का विशेष स्थान रहा है. परन्तु हम आज झाँसी की रानी, रानी दुर्गावती और रानी अवन्तिबाई तक ही सिमित रह गए है. इनके अलावा और भी कई और महान योद्धा स्त्रियाँ हुई है भारत के इतिहास में. जैसे रानी अब्बक्का चौटा और कश्मीर की चुड़ैल रानी और लंगड़ी रानी के नाम से विख्यात रानी दिद्दा. आज हम कश्मीर की रानी दिद्दा के बारे म