उत्तरप्रदेश के आगरा में स्थित है ताजमहल, खूबसूरती का अद्भुत नमूना है. ताजमहल की ये खुबसूरति की चाँद की चांदनी में और भी ज्यादा निखर कर सामने आती है. ताजमहल की खूबसूरती को देखने के लिए हर वर्ष यहाँ लाखो की संख्या में लोग आते है और उत्तरप्रदेश सरकार को ताजमहल से ही सालाना लगभग 61 करोड़ का राजस्व प्राप्त होता है. हमारे इतिहास में हमे यह पढ़ाया जाता रहा है कि ताजमहल शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज की याद में बनवाया था. परन्तु पुरुषोत्तम नागेश ओक नाम के एक प्रो ने एक किताब लिखा ताज महल एक मंदिर है, जिसमे यह दावा किया गया की ताज महल एक हिन्दू मंदिर है और शाहजहाँ के पहले से मौजूद है. शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज को दफ़नाने के लिए उस पर कब्ज़ा कर लिया और मुमताज को यहाँ दफनाया. फिर ताजमहल को लेकर विवाद खड़ा हुआ कि क्या वाकई ताजमहल एक हिन्दू मंदिर है? हालाँकि प्रो P N OAK नेउस किताब में मुसलमानों के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया था, वह काफी आपत्तिजनक था. इसी वजह से इंदिरा गाँधी ने इस पुस्तक पर रोक लगा दिया था. पर उसकी नक़ल इंटरनेट पर आज भी उपलब्ध है.
प्रो PN ओक के तर्क
प्रो P N ओक ने अपनी इस किताब में काफी विस्तार से अपने मत को सामने रखा था और बहुत तर्क और साक्ष्य सामने रखा था इन तर्कों में से कुछ तर्क नीचे निम्नलिखित है:
किसी भी मुस्लिम इमारत के नाम के साथ कभी महल शब्द प्रयोग नहीं हुआ है.'ताज' और 'महल' दोनों ही संस्कृत मूल के शब्द हैं.संगमरमर की सीढ़ियाँ चढ़ने के पहले जूते उतारने कपरम्पराचली आ रही है जैसी मन्दिरों में प्रवेश पर होती है जब कि सामान्यतः किसी मक़बरे में जाने के लिये जूता उतारना अनिवार्य नहीं होता.संगमरमर की जाली में 108 कलश चित्रित हैं तथा उसके ऊपर 108 कलश आरूढ़ हैं, हिंदू मन्दिर परम्परा में (भी) 108 की संख्या को पवित्र माना जाता है.ताजमहल शिव मन्दिर को इंगित करने वाले शब्द 'तेजोमहालय' शब्द का अपभ्रंश है। तेजोमहालय मन्दिर में अग्रेश्वर महादेव प्रतिष्ठित थे.ताज के दक्षिण में एक पुरानी पशुशाला है। वहाँ तेजोमहालय के पालतू गायों को बाँधा जाता था। मुस्लिम कब्र में गौशाला होना एक असंगत बात है.ताज के पश्चिमी छोर में लाल पत्थरों के अनेक उपभवन हैं जो कब्र की तामीर के सन्दर्भ में अनावश्यक हैं.संपूर्ण ताज परिसर में 400 से 500 कमरे तथा दीवारें हैं। कब्र जैसे स्थान में इतने सारे रिहाइशी कमरों का होना समझ से बाहर की बात है.
इन तर्कों के साथ ही प्रो PN ओक ने ताजमहल के कई चित्रों को भी अपनी किताब में छपवाया और उसके बारे में बताया था उन चित्रों के बारे में लिखने और बताने का उनका अपना एक अलग नजरिया था. ताजमहल की इस तस्वीर में प्रो PN ओक ने तजमहल को एक हिन्दू भवन के तौर पर प्रस्तुत किया है और ये बताया है कि कैसे ये एक हिन्दू भवन है.
दूसरे तस्वीर में प्रो ओक ने बताया है कि ये ताजमहल के ऊपर दिखने वाला चाँद जिसे सब इस्लाम का प्रतिक समझ बैठे है, वह वास्तव में चाँद के ऊपर कलश है और कलश के ऊपर नारियल है. इसकी जब पड़छाई धरती पर पड़ती है तब यह एक साफ साफ देखा जा सकता है. प्रो ओक का तर्क है कि इस्लाम के प्रतिक के रूप में होने वाले चाँद तारे ऐसे नहीं होते है बल्कि थोड़े तिरछे होते है. वहाँ पर की गई नक्काशियों में कमल, धतूरे के फूल के साथ साथ ॐ और नाग की भी आकृतियाँ बनी हुई है और हिन्दू धर्म में शुभ मने जाने वाले 108 अंक में सभी का पुनरावर्तन हुआ है. यह दावा बहुत ही ज्यादा गंभीर था. मैं प्रो ओक की लिखी हर एक बात को यहाँ लिख नहीं सकता. आप चाहे तो खुद गूगल पर ढूँढ कर पढ़ सकते है. इसके बारे में आप खुद ही पढ़ कर निर्णय ले कि इस किताब को पढ़ने के बाद आप किस निर्णय पर पहुंचे है? कमेंट कर के जरूर बताएं.
उच्चतम न्यायलय में याचिका
प्रो ओक ने सन 2000 में उच्चतम न्यायलय में ताजमहल को हिन्दू भवन घोषित करने के लिए याचिका दाखिल किया था. हालाँकि उच्चतम न्यायलय ने इस ख़ारिज कर दिया था.
इसके बाद 2017 में भी प्रो ओक के किताब को आधार बना कर अलग अलग न्यायलयों में याचिका दाखिल किया गया. भारतीय पुरातत्व विभाग ने ताजमहल को तेजोमहालय बताने के किसी भी दावे को मानाने से इंकार कर दिया और कहा कि यह महज एक कोरी कल्पना मात्र है. इस से जुड़े कोई भी साक्ष्य मौजूद नहीं है और लगभग हर एक अदालत ने इस याचिका को ख़ारिज कर दिया.
न्यायालय के फैसले पर विवाद
न्यायलय के फैसले पर तो विवाद तो होना ही था. न्यायलय ने जो फैसला सुनाया था वह भारतीय पुरातत्व विभाग के साक्ष्यों के आधार पर सुनाया था. पर यहाँ पर भारतीय पुरातत्व विभाग ने कोई नया साक्ष्य को ढूंढने कि कोशिश नहीं किया, ना ही कार्बन डेटिंग टेस्ट करवाया. पुराने साक्ष्यों के आधार पर ही भारतीय पुरातत्व विभाग ने यह बात कह दिया. इस वजह से कई इतिहासकार इस बात से खुश नहीं थे. सबसे बड़ा प्रश्न यह था और आज भी ऐसे ही बना हुआ है कि अगर भारतीय पुरातत्व विभाग के पास छुपाने को कुछ भी नहीं है तो ताजमहल में स्थित तहखाने को आज भी पूरी तरह से सील पर के क्यों रखा गया है? क्यों उसे खोला नहीं गया?
राम मंदिर में खुदाई के समय मिले साक्ष्यों से भारतीत पुरातत्व विभाग के मंशा पर प्रश्न उठना स्वाभाविक है. क्योंकि राम मंदिर केस के सुनवाई के दौरान भारतीत पुरातत्व विभाग ने उच्चतम न्यायलय में यह बयान दिया था कि यह राम मंदिर है, बाबरी मस्जिद नहीं इस बात का कोई साक्ष्य नहीं मिला है. फिलहाल राम मंदिर के खुदाई के समय मिले देवी देवताओं की मूर्तियाँ से यह सिद्ध हो गया कि वहाँ बाबरी मस्जिद नहीं बल्कि राम मंदिर ही था, जिसे बाद में बाबर में तुड़वा कर वहाँ मस्जिद बनवाया. ऐसे में ताजमहल और दूसरे स्थापत्य कला का सच कभी सामने आ पायेगा या नहीं यह अपने आप में एक सवाल है. आज भारत के इतिहास पर अच्छे से शोध कर उसे नए तरीके से लिखने कि जरुरत है. ऐसा करने के बाद अगर कई नए हिंदु स्थापत्य कला सामने आए जिसे हम मुगल स्थापत्य कला का नमूना समझते रहे हो, तो हमे किसी भी तरह का आश्चर्य नहीं होना चाहिए.
जय हिन्द
वंदेमातरम
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