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कविता: मेरा भारत कैसा हो?

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मेरा भारत कैसा हो?

जहाँ जात के नाम पर उत्पात न हो,
जहाँ धर्म के नाम पर मार काट न हो.
जहाँ न कोई हिन्दू हो न मुस्लमान हो,
जहाँ रहने वाला हर कोई हिंदुस्तान हो.

जहाँ अन्नदाता जब खेत में अनाज बोए,
लाचार बन वह अन्नदाता कभी न रोए.
जहाँ पर कोई गरीब भूखे पेट न सोए,
जहाँ दंगे में कभी कोई अपना न खोए.

जहाँ कभी तिरंगे का अपमान न हो,
जहाँ धर्म के नाम पर कोई हैवान न हो.
जहाँ नारी का दुर्गा सा मान सम्मान हो,
जहाँ देशभक्तों पर सभी को अभिमान हो.

जहाँ भ्रष्टाचार का नामोनिशान न हो,
जहाँ कोई भी गद्दारों पर मेहरबान न हो.
जहाँ पर जात धर्म नहीं सभी इंसान हो,
मेरे दोस्त ऐसा ही मेरा भारत महान हो.

जय हिन्द
वन्देमातरम

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