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Showing posts from September, 2020

कविता हिंदी भाषा की स्थिति

14 सितम्बर का दिन भारत में हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है. भारत की आजादी के बाद से ही देश में जाती धर्म की लड़ाई के साथ साथ भाषा की लड़ाई भी शुरू और तेज हो गई. क्षेत्रीय भाषा तक तो ठीक था, परंतु ज्यादा भार दिया जाने लगा अंग्रेजी पर. केवल एक भाषा होने के बाद भी अंग्रेजी आज आपके ज्ञान और व्यक्तित्व का पहचान बन चुका है. जब अंग्रेजी बोलने वाले देश खानाबदोश का जीवन व्यतीत कर रहे थे, उस से भी पहले से हमारे यहाँ सभय्ता का पूर्णतः विकास हो चूका था. विलियम शेक्सपियर से बहुत पहले कालिदास हुए थे. परंतु कालिदास को भारत का शेक्सपियर कहा जाता है. क्योंकि हम लोगों को विदेश की सभी चीजें कूल और फैशनेबल लगता है और हमारे देश की चीजों वस्तुओं को खास अहमियत नहीं दिया जाता है. इन्ही सब बातों को ध्यान में रखते हुए मैंने एक कविता लिखा था जिसे मैं आप सब के सामने हिंदी दिवस के अवसर पर प्रस्तुत कर रहा हुँ अगर पसंद आए तो इस कविता को उचित शीर्षक भी दे. क्योंकि मैंने इसे कोई शीर्षक नहीं दिया है. इंडिया इंडिया कर रहे हैं सब, भूल कर भारत और हिंदुस्तान. सब भूलते जाते है हिंदी को, करे रहे है इंग्लिश को सलाम. हाय बाय

भारत चीन विवाद के कारण

भारत और चीन के बीच का तनाव बढ़ते ही जा रहा है. 5 मई को धक्के मुक्की से शुरू हुआ यह सिलसिला 15 जून को खुनी झड़प तक पहुँच गया. चीन ने कायरता से भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया, जिसमें हमारे 20 वीर सिपाही वीरगति को प्राप्त हुए. उसके बाद जब भारतीय सैनिकों ने कार्यवाही किया तो उसमें चीन के कम से कम 40 से ज्यादा सैनिक मारे गए. हालाँकि चीन ने कभी इस बात को स्वीकार नहीं किया. उसके बाद अब स्थिति यहाँ तक पहुँच चुका है कि सीमा पर गोलीबारी भी शुरू हो चुका है. यह गोलीबारी 45 वर्षों के बाद हुआ है. आज हम यहाँ यह समझने की कोशिश करेंगे कि चीन आखिर बॉर्डर पर ऐसे अटका हुआ क्यों है? चीन भारत से चाहता क्या है? चीन के डर की वजह क्या है? भारत के साथ चीन का सीमा विवाद पुराना है, फिर यह अभी इतना आक्रामक क्यों हो गया है? इन सभी के पीछे कई कारण है. जिसमें से कुछ मुख्य कारण है और आज हम उसी पर चर्चा करेंगे. चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) One Road, One Belt. जिसमें पिले रंग से चिंहित मार्ग चीन का वर्तमान समुद्री मार्ग है . चीन का यह महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट 62 बिलियन डॉलर की लागत से बन रहा है. यह प्रोजेक्ट चीन के

कविता: मेरा भारत कैसा हो?

भारत देश की स्वतंत्रता के लिए न जाने कितने लोगों ने हँसते हँसते अपने प्राणों की आहुति दे दिया. क्योंकि वो सभी स्वतंत्र भारत में रहना चाहते थे. परंतु उनके मन में स्वतंत्र भारत की कैसी तस्वीर रही होगी? वो क्या सोचते रहे होंगे स्वतंत्र भारत के बारे में? फिर चाहे वह भगत सिंह हो, चंद्रशेखर हो, बिस्मिल हो, असफाक उल्ला खान हो, रोशन सिंह हो, सुखदेव हो, राजगुरु हो या अन्य वो गुमनाम क्रन्तिकारी जिनके हमें नाम तक नहीं पता. उन क्रांतिकारीयों के मन में रही स्वतंत्र भारत की छवि को ध्यान में रखते हुए मैंने एक कविता लिखा है, जिसका शीर्षक वह प्रश्न ही है, मेरा भारत कैसा हो? जहाँ जात के नाम पर उत्पात न हो, जहाँ धर्म के नाम पर मार काट न हो. जहाँ न कोई हिन्दू हो न मुस्लमान हो, जहाँ रहने वाला हर कोई हिंदुस्तान हो. जहाँ अन्नदाता जब खेत में अनाज बोए, लाचार बन वह अन्नदाता कभी न रोए. जहाँ पर कोई गरीब भूखे पेट न सोए, जहाँ दंगे में कभी कोई अपना न खोए. जहाँ कभी तिरंगे का अपमान न हो, जहाँ धर्म के नाम पर कोई हैवान न हो. जहाँ नारी का दुर्गा सा मान सम्मान हो, जहाँ देशभक्तों पर सभी को अभिमान हो. जहाँ भ्रष्टाचार का नाम

कविता: भारत देश

भारत में अक्सर बहस होता रहता है कि एक धर्म विशेष पर बहुत जुल्म हो रहे है. उन्हें परेशान किया जा रहा है. परंतु सच यह है कि वह धर्म विशेष भारत देश में जितने आराम से और स्वतंत्रता से रह रहे हैं, उतनी स्वतंत्रता से वह कहीं और नहीं रह सकते. यह वही भारत देश है, जहाँ वोट बैंक की राजनीती के लिए लोगों को उनके जाति और धर्म के नाम पर बाँटा जाता है. जहाँ का युवा "इस देश का कुछ नहीं हो सकता" कह कर हर बात को टाल देता है. जहाँ देश भक्ति सिर्फ क्रिकेट मैच या आतंकवादी हमले पर ही जागती है. जहाँ जुर्म होते देख गाँधी की अहिंसा याद आती है. इन्ही सभी बातों को ध्यान में रख कर कुछ दिन पहले मैंने एक कविता लिखा था, जिसे आप सब के सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ, जिसका शीर्षक है, "भारत देश" भारत देश एक तरफ देश की सीमा पर, सिपाही अपना खून बहता है. वहीं कड़ी सुरक्षा में रहने वाला, खुद को असुरक्षित पाता है. जहाँ कायर शराफत की चादर ओढ़े है, और अपराधी देश को चलता है. जहाँ अपनी गलती कोई नहीं मानता, पर दूसरों को दोषी ठहराता है. वही ए मेरे प्यारे दोस्त, भारत देश कहलाता है. जहाँ इंसान को इंसानियत से नहीं, भाषा

करीम लाला: मुंबई अंडरवर्ल्ड का जन्मदाता

अपराध की दुनिया को अंडरवर्ल्ड के नाम से जाना जाता है. भारत में अंडरवर्ल्ड का गढ़ मुंबई को कहा जाता है. इसी वजह से अंडरवर्ल्ड को मुंबई अंडरवर्ल्ड के नाम से भी जाना जाता है. मुंबई अंडरवर्ल्ड का नाम सामने आते ही कुछ चेहरे आँखों के सामने तैरने लगते है. जैसे मस्तान मिर्जा उर्फ हाजी मस्तान ,  वरदराजन मुदालियर   उर्फ वर्धा भाई, अरुण गवली उर्फ डैडी, दाऊद इब्राहिम और अब्दुल करीम शेर खान. मुंबई अंडरवर्ल्ड का इतिहास भारत की स्वतंत्रता से पहले यानि करीब 1940 से मौजूद है. मुंबई में अंडरवर्ल्ड का पहले नामोनिशान नहीं था. मुंबई अंडरवर्ल्ड को बनाने का और आर्गनाइज्ड क्राइम की दुनिया को शुरू करने का श्रेय जाता है, अब्दुल करीम शेर खान को, जिसे करीम लाला के नाम से जाना जाता है. वही करीम लाला, जिसने कभी आज के मुंबई अंडरवर्ल्ड के

एक ऐसा क्रांतिकारी जिसे दुबारा मारा गया!

कहते है कि कोई इंसान एक बार अगर मर जाए, तो उसे दुबारा नहीं मरा जा सकता. परन्तु आज हम जिस क्रांतिकारी के बारे में बात करने वाले है, उसे दुबारा मारा गया और हर एक एक कोशिश की गई, जिस से वह जनता तक नहीं पहुँच पाए. यहाँ तक कि उसकी लिखी हुई किताबों तक को दबाने की कोशिश की गई. उस क्रांतिकारी का कहना था कि "इंसान का शरीर कैद किया जा सकता है, उसके विचार नहीं. इंसान के शरीर को मारा जा सकता है, उसके विचार को नहीं." परंतु इस क्रांतिकारी के विचार को भी मारने का हर संभव कोशिश किया गया और ऐसा कोशिश कि न ही उसके बारे में ज्यादा लिखा गया और न ही ज्यादा पढ़ाया गया. बस उसे एक गुमनाम बनाने के लिए पूरी तरह से कमर कसा जा चूका था. परंतु यह उस क्रांतिकारी की प्रसिद्धि ही है, जो इतना सब कुछ करने के बाद भी वह आज युवाओं के बीच प्रसिद्ध है और हर एक युवा के दिलों पर राज करता है. उसका नाम आते ही सभी के सर उसके सम्मान में झुक जाते है. मैं बात कर रहा हूँ, एक 5 फुट 10 इंच लम्बे और बहुत ही खूबसूरत नौजवान, जिसे लड़कियों से बचाते बचाते उनके साथी परेशान हो जाते थे, सरदार भगत सिंह संधू के बारे में. आइए उनके बारे म

कविता: नारी शक्ति

नारी को सनातन धर्म में पूजनीय बताया गया है और देवी का स्थान दिया गया है. तभी कहा गया है कि " यत्र नारी पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता." अर्थात जहाँ नारी की पूजा होती है, देवताओं का वहीं वास होता है. यहाँ पूजा का मतलब है सम्मान. परंतु यह समाज धीरे धीरे पुरुष प्रधान बनता गया. नारी और उनके अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता गया. हालाँकि स्थिति पहले से कुछ हद तक सुधरी जरूर है. परंतु यह प्रत्येक जगह नहीं. आज भी कही कही स्थिति दयनीय है. इसे बदलने की जरुरत है. नारी शक्ति पर मैंने यह कविता लिखा है, जिसका शीर्षक ही है नारी शक्ति.  नारी शक्ति नारी तू कमजोर नहीं, जीवन का आधार है. तुझ बिन जीवन तो, क्या असंभव पूरा संसार है. तू माँ है बहन है बेटी है, तू शिव में शक्ति का इकार है. तुझ बिन शिव शव है, ये मनुष्य तो निराधार है. तू काली है तू दुर्गा है, तू शक्ति का श्रोत है. तू भवानी जगदम्बा है, तू ही जीवन ज्योत है. क्षमा में तू गंगा है, ममता में तू धरती है. तू युद्ध में रणचंडी है, जीवनदायनी प्रकृति है. जय हिन्द वंदेमातरम