14 सितम्बर का दिन भारत में हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है. भारत की आजादी के बाद से ही देश में जाती धर्म की लड़ाई के साथ साथ भाषा की लड़ाई भी शुरू और तेज हो गई. क्षेत्रीय भाषा तक तो ठीक था, परंतु ज्यादा भार दिया जाने लगा अंग्रेजी पर. केवल एक भाषा होने के बाद भी अंग्रेजी आज आपके ज्ञान और व्यक्तित्व का पहचान बन चुका है. जब अंग्रेजी बोलने वाले देश खानाबदोश का जीवन व्यतीत कर रहे थे, उस से भी पहले से हमारे यहाँ सभय्ता का पूर्णतः विकास हो चूका था. विलियम शेक्सपियर से बहुत पहले कालिदास हुए थे. परंतु कालिदास को भारत का शेक्सपियर कहा जाता है. क्योंकि हम लोगों को विदेश की सभी चीजें कूल और फैशनेबल लगता है और हमारे देश की चीजों वस्तुओं को खास अहमियत नहीं दिया जाता है. इन्ही सब बातों को ध्यान में रखते हुए मैंने एक कविता लिखा था जिसे मैं आप सब के सामने हिंदी दिवस के अवसर पर प्रस्तुत कर रहा हुँ अगर पसंद आए तो इस कविता को उचित शीर्षक भी दे. क्योंकि मैंने इसे कोई शीर्षक नहीं दिया है. इंडिया इंडिया कर रहे हैं सब, भूल कर भारत और हिंदुस्तान. सब भूलते जाते है हिंदी को, करे रहे है इंग्लिश को सलाम. हाय बाय
भारत देश के इतिहास, क्रन्तिकारी, सेना, समाज, धर्म, राजनीती, नेता, जनता इत्यादि विषयों पर अपने विचार और अर्धसत्य का सम्पूर्ण सत्य सामने रखने की क्रांति.