बॉलीवुड, जहाँ पर पुरे विश्व में सबसे ज्यादा फिल्में हर साल परदे पर आती है. कुछ अच्छी तो कुछ बहुत अच्छी होती है. वैसे तो हमेशा से बॉलीवुड पर हॉलीवुड से प्रेरित होकर के फिल्में बनाने का आरोप लागता रहा है जो सही भी है. जैसे गॉडफादर से प्रेरित होकर राम गोपाल वर्मा ने सरकार बनाया था. आमिर खान लाल सिंह चढ्ढा बना रहे रहे है और ऐसे न जाने कितनी ही ऐसी फिल्में है, जो किसी न किसी हॉलीवुड फिल्म से प्रेरित होकर बनती है. ऐसा नहीं है कि हमारे बॉलीवुड फिल्मों से हॉलीवुड में कोई प्रेरित नहीं होता. कम होते है, पर होते है. जैसे नीरज पांडे की "ए वेडनेस डे" से प्रेरित होकर हॉलीवुड में एक फिल्म बनी थी, "ए कॉमन मैन". कहने का सीधा सा मतलब सिर्फ इतना है कि पहली मूक फिल्म राजा हरिश्चंद्र से लेकर आज की आधुनिक फिल्मों तक भारतीय सिनेमा ने बहुत लम्बा सफर यह किया है. इस सफर में इसने कई उपलब्धियाँ भी हांसिल किया है और कास्टिंगकाउच, नेपोटिस्म जैसे आरोप भी लगे है. उस पर बाद में एक और गंभीर आरोप लगने लगा है, अपराध की दुनिया के लोगो से संबंध रखने का. अपराध की दुनिया यानि अंडरवर्ल्ड और बॉलीवुड के संबंधों पर बात करने से पहले बहुत ही संक्षेप में अंडरवर्ल्ड के बारे में जान लेते है.
अंडरवर्ल्ड पर एक नजर
70 की दशक में शाबिर इब्राहिम कासकर और उसके छोटे भाई दाऊद इब्राहिम कासकर ने डी गैंग बनाया और पुराने गैंग को चुनौतीदिया. अचानक से मुंबई की सड़के लहूं से और अख़बार गैंगवार की खबरों से भर गया. डी गैंग के आने से पहले गैंगवार जैसा कभी कुछ नहीं हुआ था. आज भी अंडरवर्ल्ड पर राज करने वाले दाऊद इब्राहिम को करीम लाला ने मुंबई की सडको पर दौड़ा दौड़ा कर मारा था. पर करीम लाला की बढ़ती उम्र की वजह से लाला ने खुद को सिमित कर लिया. हाजी मस्तान रिटायर हो गया था और वर्धराजन मुदलइर के बेटे की हत्या के बाद वह सब कुछ छोड़ कर तमिलनाडु चला गया. उस समय मुंबई में लगभग खाली पड़े अंडरवर्ल्ड को भरने का काम डी गैंग ने किया. परन्तु उसी समय मन्या सुर्वे, अरुण गवली (आगे चल कर डैडी के नाम से मशहूर हुआ) जैसे और नाम भी उभरे. शाबिर इब्राहिम डी गैंग का कर्ताधर्ता था, पर शाबिर इब्राहिम की हत्या मन्या सुर्वे ने कर दिया और बाद में मन्या सुर्वे का एनकाउंटर ACP इशाक बागबान ने कर दिया. उसके बाद मुंबई अंडरवर्ल्ड पर दाऊद इब्राहिम की सल्तनत को चुनौती देने के लिए सिर्फ अरुण गवली रह गया. पर बाद में गवली भी जेल में चला गया और इस तरह मुंबई अंडरवर्ल्ड में सिर्फ दाऊद रह गया.
अंडरवर्ल्ड का बॉलीवुड में आगमन
मुंबई अंडरवर्ल्ड में फिरौती, समगलरिंग, अवैध शराब, जुआ, जगह खाली करवाना, अपहरण इत्यादि जैसे आपराधिक धंधे होते थे. पर हाजी मस्तान ने बाद में रियल एस्टेट और फिल्मों में पैसे लगाना शुरू किया. हाजी मस्तान के फिल्मों में पैसे लगाने के साथ ही बॉलीवुड में अंडरवर्ल्ड का आगमन हुआ. हाजी मस्तान ने हालाँकि इसे पूरी तरह से बिज़नेस के रूप में ही रखा था. हाजी मस्तान के आने से बॉलीवुड और अंडरवर्ल्ड के बीच स्थापित हुए नए संबंधों की वजह से अब अंडरवर्ल्ड के डॉन पर आधारित फिल्में बनाने लगी या उन्ही पर आधारित किरदार दिखने लगे. 1973 में आई जंजीर में "प्राण" द्वारा निभाया गया शेरखान का किरदार करीम लाला पर आधारित माना जाता है. 1975 में आई दीवार में अमिताभ बच्चन का "विजय" वाला किरदार हाजी मस्तान पर आधारित माना जाता है. 1988 में फ़िरोज़ खान निर्मित दयावान में विनोद खन्ना का किरदार वर्धा भाई से प्रेरित है.
हाजी मस्तान के बॉलीवुड में रहे दबदबे को इसी बात से समझिए कि हाजी मस्तान की लगभग हर बड़े फ़िल्मी सितारे के साथ तस्वीर उन दिनों चर्चा में थी. राज कपूर को मेरा नाम जोकर की असफलता के बाद बहुत ही ज्यादा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा था. उस समय वह बॉबी फिल्म के निर्माण का काम कर रहे थे, पर उनके पास पैसे नहीं थे और कोई उनके फिम्ल में पैसे लगाना नहीं चाहता था. उस समय हाजी मस्तान ने राज कपूर के सामने आर्थिक सहायता का प्रस्ताव रखा था. राज कपूर खुद हाजी मस्तान के दरबार में पहुंच गए थे यह बात आग की तरह फैल गयी और बाद में राज कपूर को माफ़ी भी माँगना पड़ा था.
पर दाऊद के अंडरवर्ल्ड का डॉन बनते ही पुराने सभी तौर तरीके बदल गए और उसकी जगह नए तौर तरीकों ने लिया. पहले जहाँ सिर्फ अंडरवर्ल्ड बॉलीवुड में पैसे लगता था, वहीं अब बॉलीवुड के बड़े बड़े निर्माता और निर्देशकों के पास से फिरौती की मांग के लिए फोन भी आने लगे और अपनी जान को बचने के लिए उन्हें वो पैसे देने पड़ते थे. बाद में दाऊद मुंबई से दुबई तो चला गया पर उसके काम फोन पर चलता रहा जो लगभग आज भी जारी है.
अंडरवर्ल्ड और बॉलीवुड
फिल्मों पर पैसे लगा कर और पैसे बनाने का काम शायद अंडरवर्ल्ड के लिए सबसे आसान काम था. इसी वजह से उनका यह धंधा फैलने फूलने लगा और इसी के साथ बॉलीवुड में फिरौती की घटना भी बढ़ी. 1997 में टी सीरीज म्यूजिक कंपनी के मालिक गुलसन कुमार की हत्या ने पुरे बॉलीवुड को हिला दिया. दर की वजह से तो कभी अपनी धाक जमाने के लिए ज्यादातर फिल्मी सितारे अंडरवर्ल्ड के डॉन से जुड़े रहते. उनके बुलाने पर उनकी पार्टी में शामिल होने दुबई जाते. इसमें सबसे ऊपर नाम आता है. संजय दत्त का 1992 में आई फिल्म यलगार की शूटिंग के समय इस फिल्म के डायरेक्टर फिरोज खान ने संजय दत्त की मुलाकात दाऊद इब्राहिम से दुबई में करवाया था और उसके बाद से संजय दत्त के संबंध अंडरवर्ल्ड से रहे थे. अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम संजय दत्त का कभी अच्छा दोस्त था. छोटा शकील के साथ संजय दत्त का फोन कॉल रिकॉर्डिंग आज भी यूट्यूब पर मिल जायेगा. उसके बाद मुंबई अंडरवर्ल्ड और बॉलीवुड के प्रेम कहानी के किस्से भी काफी मशहूर रहे है जैसे दाऊद इब्राहिम और मन्दाकिनी अबू सलेम और मोनिका बेदी.
उसके बाद भी ये सिलसिला यु ही चलता रहा. 2000 में राकेश रौशन पर कहो ना प्यार है फिल्म की कामयाबी के बाद फिरौती के लिए फोन आते थे. जब राकेश रौशन के इंकार करने के बाद राकेश रौशन पर 2000 में गोलियाँ चली, जिसमें वो बाल बाल बच गए. उसके बाद भी अंडरवर्ल्ड पर फिल्में बनाने का सिलसिला नहीं रुका कभी. अब तो दाऊद इब्राहिम के किरदार पर भी आधारित कई फिल्में आ चुकी है और शायद आती रहेंगी. बॉलीवुड में अंडरवर्ल्ड का दबदबा इसी बात से समझा जा सकता है कि जिन कलाकारों का अंडरवर्ल्ड से रिश्ते रहते है उनसे पुरे बॉलीवुड में कोई नहीं उलझता. यह अब यह एक ऐसा राज बन गया है जो शायद सभी को पता है. इसी वजह से शायद आज ज्यादा फिल्में अश्लीलता इस्लामीकरण और अंडरवर्ल्ड का गुणगान करते हुए बन रही है. शूटआउट एट लोखंडवाला शूटआउट एट वडाला रईस इत्यादि इसके उदहारण है.
बॉलीवुड में आज सबसे ज्यादा समस्या नेपोटिस्म से नहीं बल्कि अंडरवर्ल्ड की साथ से फल फूल रहा बॉलीवुड माफिया राज है. कभी फुर्सत में इसकी भी जाँच होनी चाहिए. मैंने जो ना कह कर भी कह दिया है उस क्रोनोलॉजी को समझने का प्रयत्न करे.
जय हिन्द
वंदेमातरम
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