कारगिल विजय दिवस Skip to main content

कारगिल विजय दिवस

आज 26 मई है अर्थात विजय दिवस. आज ही के दिन भारत ने पकिस्तान को कारगिल के युद्ध में पराजित कर दिया था. मई में शुरू हुआ युद्ध यह 26 जुलाई को पूर्णतः समाप्त हो गया था. उन्ही वीरो को प्रणाम करते हुए मैं अपनी लिखी हुई कुछ कविताएँ प्रस्तुत कर रहा हुँ. सबसे पहली कविता का शीर्षक है "पाँच रंग वाला तिरंगा".


पाँच रंग वाला तिरंगा
किसी को चिंता भगवे की,
कोई हरे रंग के लिए रोता है.
कोई सफेद को लपेटे रहता,
कोई बसंती रंग ओढ़ सोता है.
चारों रंग लड़ते रहते आपस में,
यह देख पाँचवा रंग मुस्कुराता है.
चार रंग ये पाँचवा अदृश्य मैं,
है रंग पाँच पर तिरंगा कहलाता है.
माँ भारती की सेवा के लिए जब,
एक जवान घर से दूर जाता है.
पाँचवा रंग उन जवानों का जो,
भारत माँ के लिए लहू बहाता है.
यूँ तो रहता है अदृश्य यह पर,
जवानों से लिपट उभर आता है
इस पाँचवे रंग के सामने आज,
विजय दिवस पर शीश झुकता है.

विजय दिवस हो हम गद्दारों के नाम नाम कोई संदेश न दें ऐसा कैसे हो सकता है?

गद्दारों के नाम संदेश
हम देश भक्तो को जो भी,
यहाँ नादान समझते है.
देश के गद्दारो का जो होगा,
वो अंजाम समझते है.
काट काट कर चढ़ा देंगे,
शीश माँ भारती के चरणों में.
फिर छोड़िए क्या वो समझते है,
 क्या आप समझते है.

सीमा पर जाने वाला है एक सैनिक अपना घर और अपनों को छोड़ कर जाता है. क्योंकि उसके लिए देश सबसे पहले होता है. एक सैनिक शायद भारत माँ से यही कहता होगा.

"लहू का एक एक कतरा बहा देंगे,
जान क्या चीज है लाशे बिछा देंगे.
जब भी जरूरत होगी राष्ट्रहित में,
हम काट कर अपना शीश चढ़ा देंगे."

अंत में हर एक सैनिकों और उनके परिवार वालों के लिए प्रार्थना करता हुँ और उनके मंगल की कामना करता हुँ. 

जय हिन्द
वन्देमातरम

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